भाभी की कसी चूत का राज

(Bhabhi Ki Kasi Chut Ka Raj)

राजू शान 2014-05-06 Comments

सभी पाठकों को मेरा सलाम, यह मेरी पहली कहानी है. मैं बचपन से ही सेक्स के लिए उतावला रहा हूँ.
यह कहानी तब की है, जब मैं बी.कॉम प्रथम वर्ष में पढ़ता था.

मेरे पड़ोस में एक जोड़ा रहने आया. उनकी शादी हुए चार-पाँच साल ही हुए थे. मेरा उनसे मेल-जोल होने लगा. मैं उनको भैया और भाभी कहता था. मेरा उनके घर आना-जाना शुरू हो गया.

एक बार भैया ने रात को दस बजे मुझे फोन किया कि मैं उनके घर आऊँ. मैं तुरंत उनके घर गया.
उनको रात को किसी ज़रूरी काम से दिल्ली जाना था.
भैया ने कहा- उनको बस-स्टैंड जाना है, तुम्हारी भाभी को डर लगता है इसलिए हो सके तो तुम आज रात को हमारे घर पर ही सो जाओ.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं आधे घंटे में उन को बस-स्टैंड पहुँचा कर वापस भाभी के पास आ गया. भैया की माँ भी उस दिन बाहर गई हुई थीं. भाभी को मैंने कहा- वो अन्दर रूम में सो जाएं, मैं बाहर सो जाता हूँ.
भाभी ने कहा- ठीक है.

भाभी ने मुझे जान-बूझ कर पतली सी चादर दी ताकि मुझे ठंड लगे. करीब आधे घन्टे में वो पानी पीने के बहाने से बाहर आई तो मैं ठण्ड से सिकुड़ रहा था. भाभी ने कहा- ठण्ड लग रही है तो अन्दर सो जाओ. मैं तुरन्त तैयार हो गया. अन्दर केवल एक डबल-बेड था.
भाभी ने कहा- यहीं सो जाओ.
मैं थोड़ा सकुचाया. फिर मैं भी वहीं सो गया.

करीब आधे घन्टे बाद मैंने पाया कि भाभी की एक टाँग मेरी टाँग पर चढ़ी है. टाँग पर से साड़ी ऊपर हो गई थी और भाभी की गोरी-गोरी मादक जाँघ मुझे मखमल की तरह लग रही थी. मैंने भी धीरे से अपनी टाँग भाभी की टाँग पर रख दी. मेरा आठ इंच का मूसल खड़ा होने लगा. मैंने धीरे-धीरे टाँग को रगड़ना शुरू किया तो भाभी ने भी जवाब दिया. मुझे हर झंडी मिल गई.

फिर धीरे-धीरे मैं भाभी के पास आता गया और मैंने भाभी की चूचियों पर अपना हाथ रख दिया तो भाभी सोने का नाटक करने लगीं. अब मैंने भाभी की मादक, रसीली और भरी-भरी चूचियों को हल्के-हल्के दबाना शुरू किया.

अचानक भाभी जाग गईं और कहने लगीं- तुम क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मुझे नींद में पता नहीं चला, सॉरी.!
मैं उठ कर बाहर सोने के लिए जाने लगा, तो भाभी ने कहा- कहीं नहीं जाना है.., यहीं सोना है!

फिर भाभी ने मुझे एक भद्दी सी गाली भी दी और कहा- मादरचोद, लण्ड खड़ा करने की हिम्मत है, पर डालने की नहीं!
मैंने भाभी से कहा- लण्ड तो आपने ही खड़ा किया था.
भाभी हँसने लगीं.
भाभी उठीं और रसोई से जाकर गरमा-गरम दूध लेकर आईं, फिर मैंने दूध पिया.

उन्होंने कहा- सर्दी बहुत है.. न!
मैंने कहा- अभी सर्दी भगा देता हूँ.
भाभी बोलीं- तो देर क्यों कर रहे हो!

मैंने भाभी को पलंग पर ही पटक दिया, उनकी साड़ी को ऊपर कर दिया और उनकी पेंटी में हाथ डाल दिया.
अचानक मुझे लगा कि जैसे मैंने कोई भठ्ठी में हाथ डाल दिया है.
मैंने भाभी की फूली हुई मेंढक के माफिक रसीली चूत को मसलना शुरू किया.
भाभी ‘आआहआआ… आआआआ… शस् ससी ससी…’ करने लगीं.

फिर मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया और उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया. मैंने भाभी के पूरे बदन को अपनी जीभ और होंठ से चूमा. फिर मैंने भाभी की चूत पर अपनी जीभ फेरनी शुरू की. भाभी का पूरा शरीर अकड़ने लगा और अचानक ही उनकी चूत से कुछ रस सा बहने लगा.

मैंने भाभी से पूछा- ये क्या है?
भाभी ने कहा- मादरचोद, गांडू… चाट इसको!
मैंने रस को चाटा तो काफी गरम और टेस्टी था.

भाभी ने अब मेरे मूसल को हाथ में लेकर मुठ मारनी शुरू कर दी, थोड़ी देर में मुझे लगा कि अब मेरा रस निकलने वाला है, तो मैंने भाभी को कहा- मेरा निकलने वाला है!
तो भाभी ने उसको अपने मुँह में लिया और सारा रस पी गईं.

15 मिनट के बाद लण्ड फिर से खड़ा होने लगा.
भाभी अपनी चूत के बाल सहला रही थीं और मैं उनको देख रहा था.
मैंने भाभी से पूछा- भाभी आप तैयार हो?
तो भाभी ने कहा- मेरे चोदू, आ जा! चोद दे!

मैं सीधे ही भाभी के ऊपर चढ़ गया और अपना 8 इंच का मूसल उसकी चूत में डाल दिया. मूसल जाते ही भाभी दर्द के मारे छटपटाने लगीं और बोलीं- भड़वे, लण्ड है कि मूसल है.
भाभी की चूत काफी टाईट थी, मुझे अन्दर-बाहर करने में मजा आ रहा था.

मैंने भाभी से इसका राज पूछा, तो वह बोलीं- जब तक किसी चीज़ को काम में नहीं लाओ तो वह नई नई ही रहती है.
मैं सारा माज़रा समझ गया.
मैं भाभी की चूत को और तेज़ी से चोदने लगा.

फिर 15 मिनट बाद, मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और भाभी की चूत में पीछे से लण्ड डाल दिया और चोदने लगा, भाभी का माँसल बदन और मेरे शरीर की टकराहट से कमरे में फच-फच फच… क आवाज़ आने लगीं.

भाभी लगातार ‘शसी… सी…उई… उई… अहहा… अ हाहा…’ की आवाजें निकाल रही थीं.
भाभी अब ज़ोर-ज़ोर से धक्के लेने लगीं, मैंने भी अपने धक्कों की गति बढ़ा दी.
भाभी बोलीं- साले, बहनचोद और ज़ोर से चोद, मेरी चूत फाड़ डाल!
मैंने भाभी को कहा- हरामजादी, साली, कुतिया, तेरी चूत का तो मैं आज फालूदा बना ही डालूँगा.

यह कहते कहते भाभी का रस निकल गया और थोड़ी देर बाद मेरा भी. हमने एक-दूसरे को साफ किया और सो गए.
सुबह 7 बजे मैंने भाभी को एक बार फिर से चोदा. चुदाई के बाद भाभी ने चाय बनाई, मैंने चाय पीकर भाभी को चूमा और पूछा- रात को सर्दी तो नहीं लगीं?
तो भाभी मुस्कुराने लगीं.

उसके बाद से मैं भाभी को लगातार चोद रहा हूँ!

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