मस्त जिंदगी का अहसास-2

लेखक : राज शर्मा

पिंकी अपने कमरे में चली गई। मैं कुछ देर खड़ा रहा, फिर कुछ सोच कर पीछे पीछे पिंकी के कमरे में चला गया। सेक्स की आग जो पहले भाभी में जल रही थी वो अब मेरे अंदर धधकने लगी थी। पिंकी कमरे में नहीं थी।

तभी बाथरूम से कुछ गुनगुनाने की आवाज आने लगी। मैं बाथरूम की तरफ गया तो देखा बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और पिंकी अपने कपड़े बदल रही थी।

इस खूबसूरत बदन को कपड़ों के अंदर तो बहुत बार देखा था पर आज नंगा देख कर अपने आप पर काबू करना मुश्किल हो रहा था। पिंकी पूरे कपड़े निकाल कर शावर के नीचे खड़ी हो गई। उसके नंगे जिस्म पर पानी की फुहार गिरने लगी। वो मेरी ओर पीठ कर के नहा रही थी। मेरा मन बार बार कर रहा था कि बाथरूम में जाकर उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लूँ पर भैया-भाभी घर पर ही थे।

अचानक पिंकी ने मुड़ कर देखा और मुझे वहाँ खड़ा देख हड़बड़ा गई और जल्दबाज़ी में तौलिया उठाने के चक्कर में वो फिसल गई और धम से फर्श पर गिर पड़ी। दर्द के मारे वो बिलबिलाने लगी। मैं एकदम से अंदर गया और पिंकी को अपनी गोद में उठा लिया। पिंकी के कूल्हे में दर्द था सो मेरे उठाने से उसे कुछ ज्यादा दर्द हुआ इसलिए वो दर्द के मारे मुझसे लिपट गई।

एक तो जवान लड़की, वो भी बिलकुल नंगी- पानी में भीगी हुई, ऊपर से मैं भी लगभग नंगा ही था। सिर्फ लुंगी ही तो पहन रखी थी। मेरा तो दिमाग ही झनझना गया। मेरा एक हाथ उसकी मस्त मुलायम चूची पर चला गया। 32 इन्च की मुलायम चूची हाथ में आते ही मेरा लण्ड जो पहले खड़ा था अब पूरा खम्बा बन गया था। उसे अपनी बाहों से उतारने का दिल ही नहीं कर रहा था। पिंकी मेरे गले से लिपटी हुई थी, होश में वो भी नहीं थी।

आखिर मैंने उसे उसके बिस्तर पर लिटा दिया। उसका नंगा चिकना खूबसूरत बदन मेरे सामने था। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने झुक कर पिंकी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

पिंकी भी शायद मेरे बदन की गर्मी महसूस कर चुकी थी, उसने मेरा जरा भी विरोध नहीं किया।

गर्म-गर्म होंठ एक दूसरे से चिपक गए थे। पिंकी भी दर्द भूल कर मेरे चुम्बन का जवाब दे रही थी। नंगे बदन एक दूसरे से लिपटते जा रहे थे। मैंने पिंकी की मस्त चूत पर हाथ रखा तो लगा जैसे उसमें से भाप निकल रही हो। पिंकी बहुत गर्म हो गई थी। सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थी। मस्त आहें माहौल को ज्यादा सेक्सी बना रही थी।

पिंकी अब चुदने के लिये तैयार हो चुकी थी। मेरा लण्ड भी पूरा तैयार था। मैंने पिंकी की चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर किया तो पिंकी पागल होती चली गई।

अचानक पिंकी के मुहँ से निकला,”मेरे राजाजी, अब प्लीज मुझे चोद दो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी।”

उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी। मैंने अब देरी करना उचित नहीं समझा और पनियाई चूत पर लण्ड रख दिया था। जैसे ही एक धक्का लगाया लण्ड का सुपारा चूत के अंदर था।

पिंकी ने अपनी चीख रो़कने की पुरजोर कोशिश की पर उसकी घुटी-घुटी चीख निकल ही गई। ना जाने कैसे पिंकी की चीख भाभी ने सुन ली और वो दरवाजा खोल कर अंदर आ गई। मेरे और पिंकी के होश ही गायब हो गए।

वो एकदम मेरे नीचे से निकल कर बाथरूम में भाग गई। भाभी भी बिना कुछ कहे बाहर चली गई।

मैं भी उठ कर अपने कमरे में चला गया।

इसे कहते हैं “के एल पी डी” यानि खड़े लण्ड पर धोखा।

दो बार चूत मेरे लण्ड के नीचे आकर निकल चुकी थी और मैं परेशान हो गया था। कमरे में आकर मैंने अपने कपड़े पहने और अपने दोस्त के पास जाने के लिए तैयार हो गया।

तभी भैया ने मुझे आवाज दी, पहले तो मैं डर गया, फिर सोचा भाभी भी तो कुछ देर पहले मेरे नीचे थी, उसने भला भैया को क्या बताया होगा।

मैं भैया के कमरे में गया तो भैया ने मुझे स्टेशन छोड़ कर आने के लिए बोला। भैया को स्टेशन छोड़ कर आने में कोई आधा घंटा लगा होगा। घर वापिस आने के बाद मैं सीधा अपने कमरे में चला गया।

भाभी और पिंकी दोनों ड्राइंगरूम में बैठी थी। मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर पहनकर बिस्तर पर लेट गया।

कुछ देर बाद दोनों मेरे कमरे में आ गई, भाभी बोली,”राज, क्या तुम पिंकी से प्यार करते हो?”

मुझसे कुछ कहते नहीं बन रहा था। मैं पहले उल्टा लेटा हुआ था मैं जैसे ही सीधा हुआ मेरा लण्ड अंडरवियर से बाहर निकला हुआ था। भाभी ने हाथ बढ़ा कर लण्ड अंडरवियर के अंदर कर दिया। मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया तो भाभी बोली,”राज मेरी जान, हाथ मेरी बहन का पकड़ना ! मुझ में क्या रखा है !”

मैं फिर भी चुप था, पिंकी भी चुपचाप बैठी थी।

“हाँ भाभी ! मैं तो कब से पिंकी का हाथ पकड़ने को तैयार हूँ !”

कुछ देर ऐसे ही चुप रहने के बाद भाभी बोली,”ठीक है ! तुम्हारे भैया को आने दो, तुम्हारी शादी की बात कर लेंगे, पर तुमने जो आग दुबारा भड़काई है, उसका कुछ करोगे या नहीं?”

“क…कौन सी आग ?”

“ओह…अब भोले ना बनो… एक तो तुम्हारे भैया जाते जाते आग लगा गए हैं और तुमने भी पिंकी के साथ मिल कर ऐसा नजारा दिखा दिया जिसने आग में घी का काम कर दिया। प्लीज कुछ करो। अब डरो मत। पिंकी को भी इसमें कोई ऐतराज नहीं है।”

मैंने पिंकी की तरफ देखा तो पिंकी ने हलकी सी मुस्कान के साथ गर्दन हिला कर अपनी सहमति दे दी। पिंकी के हां करते ही भाभी ने जो लण्ड अंडरवियर के अंदर किया था वो दुबारा बाहर निकाल लिया और लोलीपोप की तरह चूसने लगी। मैं तो पहले से ही भरा बैठा था जैसे ही भाभी ने लण्ड मुँह में लिया मैं झड़ गया।

भाभी सारा वीर्य गटक गई। और उसकी अंतिम बूँद को चाटते बोली “अरे देवर जी तुम तो बड़े कच्चे खिलाड़ी निकले ?”

मैं भला क्या बोलता। मैं मुंडी नीचे किये खड़ा रहा। भाभी हँसते हुए बोली “कोई बात नहीं…घबराते क्यों हो…मैं इसे फिर तैयार कर देती हूँ ?”कह कर भाभी दुबारा मेरा लण्ड चूसने लगी।

मैंने पिंकी का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो वो भी खिंची चली आई। मैंने उसका कमीज़ ऊपर कर के उसकी एक चूची मुँह में ले ली। वो मेरे पास लेट कर मुझे अपनी चूची चुसवाने लगी। मैं एक चूची चूस रहा था और दूसरी को हाथ से मसल रहा था। पिंकी के मुँह से सिसकारी निकल गई। उधर भाभी मस्त हो कर लण्ड चूस रही थी। जो लण्ड ढीला पड़ गया था वो फिर से खम्बा बन गया। भाभी ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और दो मिनट के बाद भाभी मेरे सामने बिलकुल नंगी खड़ी थी।

अब मैंने भाभी की चूत पर हाथ लगाकर देखा वो तो बिलकुल गीली हो चुकी थी। मैंने पिंकी को भी कपड़े उतारने को कहा तो वो भी झट से कपड़े निकाल कर नंगी हो गई।

अब मैं सीधा लेट गया। पिंकी उकडू बैठी थी और मैंने उसकी चूत में अंगुली करनी चालू कर दी। तभी भाभी ने मेरा लण्ड पकड़ा और मेरे ऊपर आते हुए मेरे लण्ड पर बैठ गई। भाभी की हल्की सी चीख निकली क्योंकि मेरा लण्ड भैया के लण्ड से शायद थोड़ा बड़ा और मोटा था। पर भाभी ने फिर भी पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया था। थोड़ी देर वो ऐसे ही बैठी रही| कोई 4-5 मिनट के बाद पहले तो उसने अपनी चूत में संकोचन शुरू किया जैसे मेरे लौड़े को अंदर ही अंदर घोंट रही थी, बाद में उछल-उछल कर लण्ड अंदर-बाहर करने लगी। मेरा लण्ड पहली बार किसी की चूत में गया था मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था।

भाभी भी मस्त हो कर सीत्कारें भरने लगी थी। पिंकी ने भी अपनी चूत मेरे मुँह के पास कर दी और मैं पिंकी की चूत चाटने लगा। पिंकी मस्त हो कर चूत चुसवाने लगी। मुझे सच में मस्त जिन्दगी का एहसास हो रहा था। कहाँ तो आज तक एक चूत भी नहीं मिली थी और आज मिली तो एक साथ दो दो और वो भी एक ही दिन में। मुझ से ज्यादा खुशनशीब कौन हो सकता था।

चुदाई और चुसाई दोनों चालू थी। भाभी मस्त होकर मुझे दस मिनट तक चोदती रही, इस दौरान मैंने पिंकी की चूत मज़े ले ले कर चूसी और चाटी। वो भी दो बार झड़ गई। उसकी चूत का रस तो बहुत ही मज़ेदार था। लगता था अब भाभी भी झड़ गई है क्योंकि उसने उछलना बंद कर दिया था। अब मैं खड़ा हो गया और भाभी को घोड़ी बना कर ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए।

भाभी मस्त हो कर चुद रही थी और चिल्ला रही थी,”और जोर से चोदो राजा ! और जोर से ! दो महीनों की रुकी हुई गर्मी है सारी निकल दो आज। कसम से बहुत मस्त लण्ड है। काश तुम्हारे भाई का भी ऐसा ही होता तो जिंदगी का मजा आ जाता। तुम्हारे भैया दस दिनो में आयेंगे तब तक हर रोज चोदना पड़ेगा। समझे मेरे राजा?”

“तुम बहुत मस्त चीज हो जाने मन ! तुम्हें तो मैं सारी जिंदगी चोदने को तैयार हूँ। पर अपनी बहन से पूछ लो !” मैंने कहा।

संगीता भाभी ने पिंकी से पूछा,”क्यों री ? चुदने देगी न मुझे भी अपने इस मस्त पति से?”

पिंकी बोली कुछ नहीं, बस मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला दिया।

आधे घंटे की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए।

अब बारी पिंकी की थी पर भाभी बोली,”इसे चोदना है तो पहले शादी कर लो !”

तब पिंकी ने अपनी आवाज खोली और बोली,”दीदी अपनी चुदाई के लिये तो तुमने शादी का इंतज़ार नहीं किया था। जब शादी से पहले जीजा जी मिलाने आये थे तो चुदवा लिया था, अब मुझे क्यों मना कर रही हो?”

“अरे तुम्हें कैसे पता ?” भाभी ने हैरान होते हुए पिंकी से पूछा।

“मुझे सब पता है। शादी से पहले एक दिन जीजा जी आपसे मिलने हमारे गाँव आये थे, उस दिन माँ-बापू शहर में शादी की खरीदारी करने आये हुए थे। तब जीजा ने दीदी को हमारे ऊपर वाले चौबारे में ले जाकर चोद दिया था जिसका सिर्फ मुझे पता है।”

फिर भाभी ने पिंकी को चुदवाने की इज़ाजत दे दी और खुद उठ कर बाथरूम में चली गई।

और फिर पिंकी मेरा लण्ड चूसने लगी। दस मिनट के बाद हम दोनों पूरे गर्म हो चुके थे। पिंकी की कुँवारी चूत भी अब लण्ड मांगने लगी थी। मैंने अपने लण्ड और पिंकी की चूत पर थोड़ा सा तेल लगाया और अपने लण्ड को पिंकी की चूत पर रख दिया।

एक धक्का और सुपारा गायब। दूसरा धक्का- दो इंच लण्ड गायब। अगले धक्के में लण्ड सील तोड़ता हुआ आधे से ज्यादा गायब। तब तक पिंकी दर्द के मारे चीखने लगी थी पर मैं उसके दर्द को नजरंदाज कर रहा था। बस दो धक्के ओर और पूरा लण्ड पिंकी की चूत में था। कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। लण्ड अंदर-बाहर होने लगा। पांच मिनट की चुदाई के बाद पिंकी भी नीचे से गांड उछाल-उछाल कर चुदवाने लगी। उसका दर्द गायब हो चुका था। अब दो नए जवान जिस्म मस्त जिंदगी का एहसास ले रहे थे। मस्ती चालू थी और ये मस्ती अब सदा के लिए मेरे घर में बस गई थी।

दो महीने के बाद ही मेरी और पिंकी की शादी हो गई। आज भी जब भैया नहीं होते मैं भाभी और पिंकी को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोदता हूँ।

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