भाभी नम्बर एक

(Bhabhi Number one)

ईशात 2012-12-08 Comments

हेल्लो दोस्तो, आप सभी पाठकों को ईशात का और मेरे खड़े 6″ लंड का नमस्ते!

यह बात तब की है जब मैं केवल 19 साल का था और मेरे ताऊजी के बड़े लड़के की शादी हुई थी और मैं 12 में पढ़ता था, हमारा संयुक्त परिवार था तो सब एक साथ ही रहते थे तब।

मेरी एक आदत थी जो कि हर उस उम्र के लोंडे की होती है, उस समय मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, मैं उससे रोज़ रात में फ़ोन-सेक्स करता और अपने कमरे में ढीला होकर वैसे ही चड्डी में सो जाता।

जब से भाभी आई थी, तबसे हम लोग काफी घुलमिल गए थे और मेरा सुबह का नाश्ता हो या खाना वो कमरे में ही आने लगा।

एक सुबह मैं सोया हुआ था और बाहर की एक आवाज़ से मेरी नींद खुल गई और रात में की मस्ती के कारण मेरा लंड सुबह पूरे जोश में था और मैं उसे सहला रहा था। अचानक भाभी नाश्ता लेकर कमरे में आई और मेरा लंड खड़ा था।

मैंने सोने का नाटक किया पर लंड तो मस्ती में था। लेकिन मेरी फ्रेंची चड्डी के कारण लंड दब गया था पर भाभी को देखकर समझ आ गया था कि मेरा पप्पू जाग गया है, उन्होंने देखा कि मैं सो रहा हूँ तो वो मेरे लंड को निहारती रही और हँस कर निकल गई।

मैं यह सब देख कर अन्दर ही खुश हो गया कि चलो उनको गुस्सा वुस्सा नहीं आया और फिर मेरा दिमाग दिन भर उसी पल के बारे में सोचते हुआ परेशान करता रहा, मैंने सोचा कि चलो भाभी से चांस लिया जाए।

छुट्टियों में मेरे घर में से मम्मी और त़ाई ज्यादातर मामा के घर पर ही रहती थी और दोनों बड़े मेरे भाई और ताऊजी के लड़के भी ऑफिस चले जाते थे, घर में सिर्फ वो और में रह जाते थे।

सो एक दिन मैंने भाभी-चोदन मिशन को अंजाम देने की तैयारी की, सुबह मैंने देर तक सोने का बहाना किया और जब तक सब लोग चले नहीं गये, मैं उठा नहीं तो भाभी मुझे उठाने के लिए कमरे में आई।

मैंने चादर के अन्दर अपना लंड चड्डी के इलास्टिक में खड़ा करके फंसा दिया और ऊपर से चादर डाल ली। अब तम्बू खड़ा था और यह देखते ही भाभी की शर्मीली हंसी निकल गई।

तो उन्होंने धीरे से मेरे ऊपर से चादर हटाई कि मैं उठ न जाऊँ, और चादर का भार हटते ही लंड को चड्डी नहीं संभाल पाई और मेरा उस समय 6′ का पप्पू बाहर निकल आया।

यह देखकर भाभी की आँखें और मुँह खुले रह गये, फिर उन्होंने संभाल कर मेरी चड्डी चढ़ानी चाही, तभी मैं उठा और उनको हैरानी भरी नजरों से देखने का नाटक करने लगा। वो एकदम हटी नहीं पर मैंने कहा- यह आप क्या रही हो?

तो वो हाथ हटा कर बोली- यह तो मुझे पूछना चाहिये कि रोज़ रात में ऐसा क्या करते हो देवर जी, जो रोज़ सुबह आपका यह हथौड़ा खड़ा हो जाता है, और आज तो हद ही कर दी, चड्डी के बाहर निकल कर खड़ा था।

तो मैंने उनसे हाथ-पाँव जोड़े और कहा- यह बात किसी को न बतायें और अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में बताया।

फिर मुझे एक शॉकिंग बात पता चली कि जितना मैं उनको चोदना चाह रहा था, उससे ज्यादा वो मेरे को चोदना चाह रही थी रोज़ रोज़ मेरा लंड देखने के बाद।

उनके डी-कप बूब्स, उठे हुए चूतड़ और रसीले लबों को देखकर मैं पागल तो पहले ही था तो हम लोगों ने उस समय एक दूसरे के मन में जो भी था सब उगल दिया और वो अपने सामान की तारीफ सुन कर खूब मस्त हो रही थी।

मैंने लोहा गर्म देख कर हथौड़ा मारा और उनका हाथ अपने लंड पर रखकर यह दिखाने की कोशिश की कि आज उनकी इच्छा पूरी कर देता हूँ।

फिर मैंने अपनी बनियान-चड्डी उतारी और उनको अपना लंड सैंप दिया, वो उसे हाथ से सहलाती रही।
लेकिन मुझे चुसवाना था तो मैंने कहा- भाभी, आओ आज वो करें जो तुमने नहीं किया होगा अब तक!

फिर उनको नंगी किया और उनको नंगी देखकर मेरे लंड में अलग सी ताकत आ गई। मैंने उनको चूमन चाटना शुरु किया और कुछ देर बाद चूत के पास चेहरा लाकर बोला- भाभी, आपने कभी ओरल किया है?
तो उन्होंने कहा- नहीं!

फिर मैंने 69 पोज़ीशन में लंड उनके सामने कर दिया तो वो हिचकिचाने लगी पर मैंने चूत को चाटना शुरू कर दिया। यह देखकर उन्होंने भी अपने देवर का लण्ड मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया।
69 करने के बाद मैंने उनके बूब्स को खूब मसला और चूसा, चाटा।

अब बारी थी चूत में डालने की, तो उन्होंने कहा- आराम से, इतना बड़ा पहले कभी नहीं लिया है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

यह सुनकर मेरी छाती चौड़ी हो गई और फिर मैंने उनको चोदना चालू रखा, कई आसन बदले और फिर जब छूटने को था उनको पूछा- भाभी जी, कहाँ निकालूँ?

तो उन्होंने कहा- अन्दर नहीं!

तो मैंने अपना माल उनके वक्ष पर निकाला और उनसे पोर्न मूवीज के तरह लंड को चाट कर साफ़ करने के लिए चूसने को कहा पर उन्होंने नहीं किया।

फिर तब से भाभी नo.1 के साथ मेरे सेक्स एडवेंचर्स शुरु हो गये, हम कभी पोर्न मूवीज देखते, एक दूसरे को शेव करते और मौका मिलने पर नहाने का लुत्फ़ उठाते थे।

तब तक मेरे दूसरे भाई की शादी नहीं हुई थी, उसकी शादी बाद सब कुछ बदलने वाला था जो हमने कभी नहीं सोचा था।

वो कथा अगली बार, तब तक के लिए नमस्कार, आदाब और शुक्रिया!
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