मई 2019 की बेस्ट लोकप्रिय कहानियाँ

(Best and Popular Hindi Sex Stories Published In May 2019)

प्रिय अन्तर्वासना पाठको
मई 2019 प्रकाशित हिंदी सेक्स स्टोरीज में से पाठकों की पसंद की पांच बेस्ट सेक्स कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…

मेरी सेक्सी बीवी को अब्बू ने पेला

मेरा नाम अहमद है और मैं मेरठ के पास एक गाँव का हूँ लेकिन अभी मेरठ सिटी में रहता हूँ। अभी मेरी उमर 29 साल की है. मेरा निकाह छह साल पहले हो गया था. मेरी जोरू कौसर बेगम की उमर 26 साल है. मेरी बीवी बहुत ज्यादा खूबसूरत है, हुस्न परी है और उसको देख कर सठियाये हुए बूढ़ों के लटके हुए लंड भी खड़े हो जाते हैं। कौसर जहाँ कहीं से भी निकलती है, सारे मर्दों की निगाहें उसकी तरफ ही रह जाती हैं और कोई ना कोई उससे छेड़खानी भी कर देता है।

दोस्तो, मैं आपको अपनी जिन्दगी का एक सच्चा वाकया सुनाने जा रहा हूँ. यह शर्मनाक वाकया होने के बाद भी मैंने कुछ भी नहीं किया क्योंकि मेरे खानदान की इज्जत का सवाल था. इस वाकये ने मेरी पूरी जिन्दगी में उथल पुथल करके रख दी।

मेरे अब्बू के घर में मेरी अम्मी के साथ ही मैं और मेरी बीवी रहते हैं। मेरे अब्बू की उमर 50 साल है. मैं और मेरे अब्बू दिखने में एक जैसे ही हैं।

बात करीब चार माह पहले की है जब मैं, मेरी बीवी, मेरे अब्बू, मेरी अम्मी के साथ गाँव गये हुए थे। हम साल में तीन चार बार अपने गाँव जाते ही हैं. गाँव में हमारी काफी जमीन है, उस पर खेती होती है और एक काफी बड़ा घर भी है। घर की देखभाल के लिए खेत पर काम करने वाले एक आदमी को ही कह रखा है.

एक दिन शाम को मेरे अब्बू के साथ मैं हमारा खेत देखने चला गया. मेरी अम्मी और मेरी बेगम कौसर घर का काम निपटा कर सो गई थी।

जब मैं घर वापिस आया तो सीधे अपने कमरे में गया। मेरा कमरा ऊपर वाली मंजिल पर है. अब्बू अम्मी नीचे वाली मंजिल के कमरे में सोते हैं.

मुझे अपनी बेगम की चूत चुदाई करनी थी लेकिन कौसर को सोयी हुई देख मुझे ऐसा लगा कि शायद वो बेचारी काम करने में थक गयी है तो मैंने चुदाई का इरादा छोड़ दिया। मन ही मन में मैंने सोचा कि चुदाई का क्या है, कल कर लेंगे और मैं सो गया.

दोस्तो, अभी तक मैंने आपको यह नहीं बताया कि मेरी बीवी कौसर में वासना भरी पड़ी है, वो बहुत चुदक्कड़ है। मैं जब कभी उससे चोदने की बात करता हूँ तो वो तो हमेशा तैयार रहती है, उसकी तरफ से कभी ना नहीं होती है.

तब भी मैंने उसे सोने दिया, जानबूझकर कुछ नहीं किया।

अगले दिन में मेरे अब्बू और मैं अपने खेत पर गये तो हमें शाम हो गई और फिर वहां से हम दोनों मेरे चचाजान से मिलने उनके घर पर चले गये। वहां पर चचा का बेटा मुनव्वर भी था।

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मेरी कमसिन जवानी के धमाके

मेरा नाम नीतू है, मेरे परिवार में सिर्फ माँ पापा और छोटा भाई हैं. पापा सरकारी नौकरी में हैं, इसलिए उनका हमेशा ट्रांसफर होता रहता है. हमारा बचपन ज्यादातर गांव में ही गुजरा, पर मेरे एग्जाम के ठीक बाद पापा का ट्रांसफर शहर में हुआ और तभी मैंने शहर देखा.

मैं गांव में ही पढ़ी थी, ज्यादा लड़कों से बातें नहीं करती थी. बस मेरी इतनी ही जिंदगी थी. मेरी सहेलियां भी काफी कम थीं. मैं घर में अपना पुरानी यूनिफार्म पहनती थी.

इस बार पापा के ट्रांसफर ने मेरी जिंदगी काफी हद तक बदल दी. शहर में हमारा घर शहर के बाहर एक कॉलोनी में था. आस पास किसी से बातें करने जाओ, तो सब के दरवाजे बंद रहते थे. मेरा कॉलेज भी बहुत दूर था, आने जाने मैं ही बहुत टाइम निकल जाता था.

कॉलेज में मैं सलवार सूट पहनती थी, जीन्स पहनने की हिम्मत नहीं हुई. कॉलेज में चलते वक्त या फिर क्लास में लड़कों की और कुछ प्रोफेसर की नजर मेरे छाती पर या फिर नितम्बों पर टिकी रहती थी. पर मेरे शर्मीले स्वभाव की वजह से कोई आगे नहीं बढ़ता था. मैं घर में बोर हो जाती, माँ से भी कितनी बातें करती, छोटा भाई भी अपने खेल कूद और स्टडी में बिजी रहता.

एक दिन हमारे सामने वाले घर में एक खुराना फैमिली रहने आयी, अंकल लगभग चालीस साल के थे. वे एक कंपनी में काम करते थे और आंटी मम्मी की तरह हाउसवाइफ थीं. इसलिए दोनों की पहले दिन से ही जमने लगी. हमारे दोनों घरों की चाबियां भी हमने आपस में एक्सचेंज कर ली थीं. ताकि वक्त बेवक्त घर के किसी भी सदस्य को चाभी की दिक्कत न हो.

अंकल आंटी के बच्चे अपनी नाना नानी के साथ रहते थे और कभी कभार ही शहर आते थे. अंकल के वापस घर आने तक आंटी हमारे घर में ही रुकती थीं. धीरे धीरे मैं भी उन दोनों मैं शामिल हो गई. अंकल से ज्यादा बात नहीं होती थी, वो अक्सर लेट घर आते या फिर घर में ही रहते.

अंकल का सांवला रंग, चौड़ा बदन, पतले हुए बाल और गुस्सैल चेहरा होने की वजह से कोई उनसे ज्यादा बात नहीं करता था.

अंकल के घर में होने पर मैं उनके घर कम ही जाया करती. मैं जब भी सामने होती, तो उनकी नजरें स्कर्ट के नीचे से मेरी जांघें देखतीं या फिर मेरे सीने को निहारतीं.

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मौसेरे भाई बहन के साथ थ्रीसम सेक्स

पिछली बार जब मैं दिल्ली से घर आई थी, तो मुझे पहाड़ों में आकर बहुत सुकून मिला. फिर 5 दिन बाद मेरे मामा अपनी लड़की की शादी का न्यौता देने और मुझे साथ ले जाने के लिए आए.

मम्मी ने मामा के साथ जाने के लिए हां कर दी और मैं मम्मी के साथ मामा के घर चली गयी.

मामा ने अपनी बेटी पहले ही बुला लिया था. अभी उनकी शादी में 8 दिन बाकी थे. जब मेरे मामा की बेटी यानि मेरी दीदी मुझसे मिलीं, तो मैंने दीदी से बात की, लेकिन उन्होंने मुझसे बात नहीं की. पता नहीं क्यों उनको मुझसे नाराजगी थी. दो दिन ऐसे ही बीत गए.

मैं शादी के लिए कपड़े खरीदना चाहती थी. जब मैंने दीदी से पूछा तो उन्होंने मना कर दिया- मुझे नहीं मालूम, जो खरीदना है खरीदो.
मुझे दीदी की ऐसी बेरुखी बातों से रोना आ रहा था. खैर मैंने कपड़े नहीं खरीदे, जो मेरे पास थे, उन्हीं को पहनने का मन बना लिया.

शादी से एक दिन पहले सभी मेहमान आ गए थे तो रात को सोने का इंतजाम करने लगी. महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था कर दी गयी और पुरुषों को अलग से.

मैंने अपने लिए छत पर बिस्तर लगा दिए ताकि शोर शराबे से दूर आराम से सो सकूँ. मैं खाना खाकर करीब 9 बजे छत पर जा कर अपने बिस्तर पर लेट गयी. थोड़ी देर बाद मेरी मौसी की लड़की और उनका भाई छत पर आ गए. मैं उनको जानती थी कि ये मेरी मौसी की लड़की और लड़का हैं. लेकिन कभी हम मिले नहीं थे.

वो आकर मेरे पास बैठ गए और अपना परिचय दिया. तब हमारी जान पहचान हो गयी. उसका नाम निहारिका था.
निहारिका ने पूछा कि क्या वो मेरे साथ सो सकती है?
मुझे कोई दिक्कत नहीं थी तो मैंने हां कर दी.

तभी उसका भाई बिस्तर ले आया और वे मेरे साथ में बिस्तर लगा कर लेट गए. मेरी मौसी का लड़का मुझसे बातें करने लगा. वो कुछ ज्यादा ही मुझमें अपना इंटरेस्ट दिखा रहा था. मैंने दिन में भी उसको कई बार मुझे घूरते हुए देखा था. वो दोनों बहन भाई पूरा दिन हंसते हुए बिता रहे थे. दिन में जब कोई काम होता, तो वो मुझे बार बार छूने की कोशिश करते और एक दूसरे के इर्द गिर्द ही रहते. लेकिन मेरा उनमें कोई इंटरेस्ट नहीं था.

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चुदने को बेताब मेरी प्यासी जवानी

मेरा नाम ऋतु है, ऋतु वर्मा, सरनेम पर मत जाइए, मैं एक बंगाली लड़की हूँ। उम्र है 24 साल, लेकिन ब्रा मैं 38 साइज़ का पहनती हूँ। देखा 38 साइज़ सुनते ही मुंह में पानी आ गया न आपके। आप मर्दों की यही एक बुरी आदत है, हर लड़की, हर औरत को बस एक ही नजर से देखते हो। चलो कोई बात नहीं, मुझे भी तो अच्छा लगता है, जब आते जाते मुझे लोग घूर घूर कर देखते हैं, खास तौर पर मेरे मम्मों को।

फिलहाल मेरा कोई बॉय फ्रेंड नहीं है। पहले एक था, मगर मैंने उससे ब्रेक अप कर लिया। आज मैं आपको उसी की बात बताने जा रही हूँ। वैसे तो मेरे और मेरे फॅमिली के और भी बहुत से राज़ हैं, अगर आपको मेरी यह कहानी पसंद आई और आपने मुझे और भी बहुत कुछ बताने के लिए प्रेरित किया तो और भी लिखूँगी।

स्कूल खत्म करने के बाद मैंने बिज़नेस मैनेजमेंट में जाने का सोचा. इसके लिए मैंने एम बी ए को अपना लक्ष्य बना कर आगे की तैयारी शुरू की। फिलहाल मैं एम बी ए ही कर रही हूँ। जब मैंने एम बी ए के पहले ही साल में दाखिला लिया, तो मुझ पर मेरी ही क्लास का एक लड़का खूब सेंटी हो गया, हर वक्त देखता, आगे पीछे, आस पास ही घूमता, कभी कभी बात भी करता।

लड़का भी देखने में अच्छा था। मुझ पर भी नई नई जवानी चढ़ी थी तो उसकी हरकतें देख कर मेरा भी दिल धड़कता। धीरे धीरे आखिर वो मेरे दिल में बसता गया और एक दिन उसने मुझे प्रोपोज किया।
मैं तो पहले से ही मरी जा रही थी तो जैसे ही उसने प्रोपोज किया, मैंने भी कबूल कर लिया।
जिस पल मैंने उसे येस कहा, उसी एक पल में मैं उसकी गर्लफ्रेंड और वो मेरा बॉयफ्रेंड बन गया।

बाद में मुझे पता चला कि मुझे पटाने के बाद उसने अपने दोस्तों को पार्टी भी दी थी, जैसे मुझे पटा कर उसने एम बी ए में फ़र्स्ट क्लास हासिल कर ली हो।

चलो यारी हो गई तो फिर अक्सर हम कॉलेज की कंटीन में और यहाँ वहाँ मिलते। दिन रात मोबाइल पर एक दूसरे से बातें करते। बहुत दिन तो एक दूसरे को जानने में लग गए। बहुत कुछ सुनने को सीखने को भी मिला।
कोई सहेली कहती- कुछ किया या नहीं?
कोई कहती- पागल किस चक्कर में पड़ गई अपनी स्टडी पर ध्यान दे।
कोई कहती- ये लड़का बस तुझे इस्तेमाल करके छोड़ देगा!
और ना जाने क्या क्या।

मगर सच कहूँ, तो मैं कंफ्यूज थी। मुझे समझ में ही नहीं आ रहा था कि किसकी बात मानूँ, किसकी बात न मानूँ।
बस इसी तरह चलता रहा, पहले तो हम सिर्फ हाथ मिलाते थे या हल्का सा गले मिलते थे। पर एक दिन उसने मुझे किस करने को कहा। दिल तो मेरा भी चाह रहा था कि 10 दिन हो गए, आई लव यू कहे, साले ने आज तक किस भी नहीं किया।

मगर जब उसने मुझे किस के लिये कहा तो मैंने सिर्फ ‘ओ के’ कहा। मगर अब कॉलेज में तो सबके सामने किस कर नहीं सकते थे तो वो अपने एक दोस्त की गाड़ी मांग कर लाया। मुझे गाड़ी में लेकर वो कॉलेज के पीछे की तरफ ले गया क्योंकि वहाँ लोगों की आवाजाही बहुत कम है। वहाँ कार रोक कर उसने, आस पास देख कर फिर मुझे कहा- ऋतु आई वांट टू किस यू!
मैंने सिर्फ मुस्कुरा कर उसको देखा।

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चालू शालू की मस्ती

बात आज से लगभग एक साल पहले की है, सर्दी अपने पूरे चरम पर थी, मेरे पीहर में कोई शादी का प्रोग्राम था, मम्मी पापा का फ़ोन आया और बताया कि मेरे चाचा की लड़के की शादी बारह दिसम्बर को तय हो गई है और मुझे और मेरे पति को बच्चो सहित चार पांच दिन पहले आने के लिए बोला.

बात करते करते मेरी चाची और चाचाजी से भी मेरी बात करवाई तो चाचा और चाची ने कहा- शालू पिछली बार जब तू आई थी तो तूने वादा किया था कि भाई की शादी में पांच दिन पहले आएगी. अब शादी आ गई है तो अपना वादा भूलना नहीं और पूरे परिवार के साथ चार-पांच दिन पहले पहुँच जाना और शादी की जिम्मेदारी संभालो आकर!

मैं भी बहुत उतावली हो रही थी अपने भाई की शादी में जाने के लिए तो मैंने चाचा और चाची को बोला- ठीक है, हम सब पांच दिन पहले पहुंच जाएंगे.

शाम को जब पति ऑफिस से आए तो मैंने उन्हें बताया- कुणाल की शादी तय हो गई है बारह दिसम्बर को. तो आप कल ही छुट्टी की एप्लीकेशन लगा दो, हमें पांच दिन पहले वहां जाना है.
पति ने कहा- नौ और दस दिसंबर को तो हमारे बैंक की दो नई ब्रांच का उद्घाटन अपने शहर में होने वाला है. और बॉस ने सम्पूर्ण जिम्मेदारी मुझे दी है तो मैं तो शादी में ग्यारह दिसंबर को ही आ पाऊंगा और बच्चों के भी पेपर शुरू होने वाले हैं. वो भी पच्चीस दिसम्बर से पहले ख़त्म नहीं होंगे.

और फिर मुझसे बोले- तुम कार लेकर चली जाओ.
मैंने भी सोचा कि पति के कारण में अपने भाई की शादी का प्रोग्राम क्यों कैंसिल करूं.

फिर मैंने मेरी सासूजी को फोन मिलाया और बोली- मम्मी जी, आप प्लीज हमारे घर आ जाइए. मुझे कुणाल की शादी में जाना है और बच्चों के एग्जाम शुरू होने वाले हैं तो बच्चों की देखभाल के लिए आपको यहां आना पड़ेगा.
सासुजी ने कहा- बेटी, तुम आराम से जाओ. मैं और तेरे ससुर जी दोनों कल शाम को ही तुम्हारे घर आ जाते हैं।

अगले दिन जब मेरी सास और ससुर जी दोनों घर पर आए तो मैंने सासू मां से बोला- मम्मी, मुझे कुणाल की बहू के लिए पोशाक और कुणाल के लिए अपने घर की तरफ से कुछ कपड़े और सामान लेना है तो आप मेरे साथ मार्केट चलो.
मैं और मम्मी तैयार होकर शाम को मार्केट चले गए. वहां से मैंने कुणाल की पत्नी के लिए मेरे घर की तरफ से पोशाक और कुणाल के लिए भी कपड़े के लिए और शाम को वापस घर आ गए.
चार-पांच दिन बाद मुझे मेरे पीहर जाना था।

पीहर जाने वाले दिन से पहले वाली रात में मैंने और मेरे पति ने जमकर चुदाई की, मैंने पति को बोला- मैं तुम्हारे लंड के बिना चार-पांच दिन कैसे रहूंगी जानू, मेरी चूत को रोज लंड की जरूरत है और वहां शादी में भी जब तुम आओगे तो रात में मिलना हो पाएगा या नहीं इसलिए आज मुझे जमकर रगड़ दो.

मेरे मुंह से ये सब सुनकर मेरे पति भी जोश में आ गए और हम दोनों ने पूरी रात तीन बार चुदाई की. एक बार तो उन्होंने मेरी गांड भी मारी और गांड मारने के बाद अपने वीर्य को मेरे हलक में उतार दिया.
आपको तो पता ही है मुझे वीर्य पीना तो बहुत ज्यादा पसंद है इसलिए मैंने उनके वीर्य का एक एक कतरा अपने मुंह में गटक लिया और लंड को चाट चाट कर साफ कर दिया.

हमारी तीन बार की चुदाई में सुबह के चार बज गए थे, मुझे चुदाई की थकावट की वजह से नींद आने लग गई.

चुदाई की मस्ती की के बाद सुबह नौ बजे में उठी तो सासु ने बोला- आज तुझे जाना है और इतनी लेट उठी है?
मैंने कहा- मम्मी कल रात में हल्का सा बुखार आ गया था तो गोली लेकर सो गई थी इसलिए आज लेट उठी.
अब सासु मां को कौन समझाए इसने निगोड़ी चूत के लिए रात भर जागना पड़ा और आप के बेटे ने मुझे चोद-चोद कर निहाल कर दिया.

मैंने एक दिन पहले ही सभी सामान पैक कर लिया था जाने के लिए, तो दिन में दो बजे जयपुर से अपने पीहर के लिए मेरी कार लेकर निकल पड़ी अपनी पीहर की तरफ.

मेरे ससुराल जयपुर से मेरा पीहर लगभग साढ़े तीन सौ किलोमीटर दूर है, अभी मैं आधी दूरी ही तय कर पाई थी तब तक शाम के पांच बज चुके थे और मावठ की बरसात की बूंदें गिरनी शुरू हो गई. जिनको पता नहीं है उनकी जानकारी के लिए बता दूँ की जब कश्मीर में बर्फबारी शुरू हो जाती है तो हमारे राजस्थान में भी सर्दियों में बरसात होती है जिसे मावठ की बरसात कहते हैं. उसके बाद से ही राजस्थान में ज्यादा सर्दी पड़नी शुरू होती है.

अचानक से बरसात बहुत तेज की होने लगी तो मैंने हाईवे पर गाड़ी चलाने के बजाय गाड़ी को सड़क के किनारे खड़ा करके पार्किंग लाइट ऑन कर दी और गाड़ी के कांच पर वाइपर चालू कर दिए. लगभग आधा घंटे तक बारिश रुकने का इंतजार किया, जब बारिश कुछ हल्की पड़ी तो मैंने फिर से चलने का प्लान बनाया और जैसे ही गाड़ी स्टार्ट की तो ये क्या … गाड़ी तो स्टार्ट ही नहीं हो रही!

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