राजवीर वीरू दादा

एक ही बाग़ के फूल-5

बात करते करते मैंने उसकी जांघों पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा। चिकनी चिकनी जांघों पे हाथ फेरते हुए मैं कभी कभी अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स में डाल देता।

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एक ही बाग़ के फूल-4

“देख, यही लंड तेरी मम्मी के और तेरी बहन के चूत में जायेगा और दोनों सिसकारियां ले ले कर मेरे लंड से चुदेंगी।” ऐसी गन्दी गन्दी बातें करते करते मेरा लंड सख्त हो गया।

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एक ही बाग़ के फूल-3

अपने पड़ोस की मां बेटी को मैं पटा चुका था बस चोदना बाक़ी था. एक दिन उनका लड़का मेरे घर आया तो मौक़ा कुछ ऐसा बना कि सेक्स की बात होने लगी. फिर मैंने क्या किया?

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एक ही बाग़ के फूल-2

मैं आंटी को नंगी नहाती देखने लगा था खिड़की से. उन्होंने मुझे देख लिया तो क्या सलूक किया मेरे साथ? और उधर उनकी कमसिन बेटी पर मैं अपनी वासना दृष्टि गड़ाए था.

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एक ही बाग़ के फूल-1

हमारे घर के सामने एक नए किरायेदार आये. उस परिवार की माँ और बेटी दोनों मस्त माल थी. लेकिन मेरी नजर उनकी कमसिन बेटी पर थी मैं उस पर ट्राई मारने लगा.

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भाई की साली की चूत चुदाई -2

मैं शेविंग किट लाया और सबसे पहले उसकी चूत के आसपास के बाल साफ़ करने थे। मान नहीं रही थी पर फिर भी जोर देने पर सलवार उतार ही दी और फिर बाथरूम में जाकर बैठ गई।
मैंने उसे टाँगे खोलने को कहा, धीरे धीरे शरमाते हुए उसने टाँगे खोल ही दी।

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भाई की साली की चूत चुदाई -1

वो कुछ न बोली, बस शरमा कर मुँह छुपा लिया। मैंने उसका हाथ हटाया और गालों पर एक चुम्मा दे दिया, वो पूरी शर्म से लाल हुई पड़ी थी।
फिर मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और उसके होंठ चूसने लगा।

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