श्रेया आहूजा

बेबी डॉल मैं सोने दी..

बड़े शहरों की लड़कियाँ जंक फ़ूड खाते-खाते मोटी होती जा रही हैं। मोटी लड़कियां कितना भी मेकअप करें.. कितना भी अंग्रेजी बोलें.. चुदाई में मज़ा नहीं देतीं.. जितना कि सावी जैसी देसी माल मजा देती हैं।

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चालू छोकरी की चुदाई की दास्तान

उसके साँवले गोल-गोल चूतड़ एकदम दमक रहे थे। जब मैंने उसकी गांड को दो उँगलियों से फैलाई, तब मैंने एक काला सा मल-द्वार देखा और फिर अंदर गुलाबी छिद्र था।

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मेरे यार की शादी

रमित बड़े प्यार से मम्मे चूस रहा था, फिर उसने पैंटी खोली, जाहन्वी की चूत हमेशा की तरह गीली थी, रमित चूत फैला फैला कर देख रहा था, अब जाहन्वी की चूत चाटने लगा।

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मुझे गन्दा गन्दा लगता है ! -1

जब मैं अट्ठारह साल की थी, मेरे कूल्हे बड़े हो रहे थे… मेरे मम्मे भी बड़े हो रहे थे… सेक्स क्या होता है मुझे अच्छे से पता था.. मेरे दोस्त हुआ करते थे दानिश, रौनक और संजय। एक शाम हम चारों लुक्का-छुप्पी खेल रहे थे…

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बाबा चोदो ना मुझे

उस भिखारी को मैंने अन्दर बुला लिया… फिर उसके सामने मैं अपनी ब्रा खोल कर खड़ी हो गई! मैंने नीचे जीन्स पहनी हुई थी! मैंने उसके सामने अपने उरोज पेश किए और एक चूचा उसके मुँह में डाल दिया!

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मिस दिवा 2011

सबसे पहले पाठकों को श्रेया का नमस्कार ! माफ़ी चाहूंगी कि मैं इतने दिनों के बाद आपके सामने अपनी नई कहानी लेकर आई। क्या करती?

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