नेहा वर्मा

तन की आग

लेखिका : नेहा वर्मा हम पति पत्नि दोनों ही गांव छोड़ कर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गये थे। मेरा देवर भी पढ़ाई के

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दिल पर जोर नहीं-2

मैंने तुरन्त गाऊन पहना, पर अन्दर कुछ नहीं पहनने के कारण सारा शरीर झन रहा था। मैंने तौलिया कमर में और लपेट लिया। ताकि नीचे मेरे चूतड़ और कूल्हे वगैरह नजर ना आये।

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दिल पर जोर नहीं-1

मेरी इच्छा तो अपनी हवस पूरी करने की थी, बस जिस्म की जरूरत को पूरा करना चाहती थी। मैं उसे हर तरह से उत्तेजित करती रहती थी कि वो मौका मिलते ही मेरी छातियाँ दबाये और मेरे दूसरे अंगों को मसल दे।

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ससुराल गेंदा फ़ूल-2

‘अभी और चुद ले… अपने पिया तो परदेस में है… सैंया से ठुकवा ले… अभी उनके आने में बहुत महीने हैं…’ ‘मांऽऽऽ… तुम बहुत… बहुत… बहुत अच्छी हो’… प्यार से मैं मां के गले लग गई।

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ससुराल गेंदा फ़ूल-1

मेरी चूत में से पानी की दो बूंदे टपक पड़ी… मैंने अपने पेटीकोट से अपनी चूत रगड़ कर साफ़ कर ली… मेरा मन पिघल उठा था… हाय रे कोई मुझे भी चोद दे… कोई भारी सा लण्ड से मेरी चूत चोद दे… मेरी प्यास बुझा दे…

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गाण्ड चुदाई का आनन्द -2

उस समय मेरे मन का शैतान जाग उठता था और कम्प्यूटर पर मैं अन्तर्वासना और अन्य सेक्सी चेनल देखती रहती थी। मुझे रोहन और साहिल के कमरे में से टीवी में से कुछ सेक्सी आवाजें आ रही थी। मैं ऐसी आवाजें खूब पहचानती थी। ये ब्ल्यू फ़िल्म की चुदाई की आवाजें, सिसकारियाँ और इंगलिश डायलोग की आवाजें थी।

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बालकनी में भैया ने चोदा

मुन्ना दीवार के पास खड़ा होकर पेशाब करने लगा। जैसे ही उसने अपना लन्ड निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा लम्बा लन्ड… देख मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी।

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