शायरा मेरा प्यार- 23
इस तरह प्यार करना शायरा के लिए नया था … पर मेरे साथ वो खुलकर प्यार करना चाहती थी. इसलिए मेरे लंड पर बैठकर वो पूरी मस्ती करते हुए लंड पर उछलने लगी.
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इस तरह प्यार करना शायरा के लिए नया था … पर मेरे साथ वो खुलकर प्यार करना चाहती थी. इसलिए मेरे लंड पर बैठकर वो पूरी मस्ती करते हुए लंड पर उछलने लगी.
शायरा कुंवारी नहीं थी मगर फिर भी उसकी चुत चाटने में इतना मजा आ रहा था. जब इसकी चुदी चुत इतना मजा दे रही है, तो वो अगर कुंवारी होती तो कितना मजा देती?
हमारे जिस्म जल रहे थे. कुछ देर हम एक दूसरे के बदन की गर्मी को फील करते रहे, फिर शायरा के रक्तिम होंठों से मेरे होंठ मिले तो हमारे हमारे जिस्म की प्यास भी बढ़ गयी.
मैं सच बोल कर तुम्हें अपनी बांहों में रखना चाहता हूँ, बिस्तर में नहीं. बिस्तर पर तो बस हवश पूरी होती है … मगर बांहों में रखने से प्यार बढ़ता है.
शायरा को अपने नंगेपन का अहसास हुआ तो वो तुरन्त उठकर बैठ गयी. उसने हाथ पैरों से अपना नंगा बदन छुपाया और अपने कपड़ों को ढूँढने लगी जो इधर उधर बिखरे पड़े थे.
उसकी चुत चाटते चाटते मैं खुद ही होश खोने लगा. जैसे जैसे मेरी जीभ शायरा की चुत पर चल रही थी … वैसे वैसे मेरी उसकी चुत के प्रति दीवानगी बढ़ती जा रही थी.
शायरा मेरे सामने सिर्फ़ गुलाबी पैंटी में थी. जो आगे से पूरी भीगी हुई थी. भीगी पैंटी देख उसकी चुत की महक लेने को अपने आप ही मेरा सिर उसकी जांघों के बीच झुक गया.
शायरा ने भी अब मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया था, जिससे हम दोनों ही इस दुनिया को पीछे छोड़ कर अब अपनी एक नयी ही दुनिया में खो गए थे.
दिखा दी ना अपनी औकात … आज साबित कर ही दिया कि सब मर्द एक जैसे होते हैं. उनको बस एक ही काम से मतलब होता है. सबके सब बस फायदा उठाने की सोचते हो.
मैंने पहले अपनी जीभ निकाल कर उसके रसीले होंठों को चाटकर देखा, फिर धीरे से उसके नीचे के एक होंठ को अपने मुँह में भर कर हल्का हल्का चूसना शुरू कर दिया.
मैं महेश आपको बता रहा था दोस्तो कि शायरा मेरे प्रेम में रंग लगी थी. मैं उसको स्कूटी पर बिठा कर उसके बैंक छोड़ने गया
दोस्तो, मैं महेश एक बार फिर से शायरा के प्यार की सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ. अब तक आपने जाना था कि
साथियो, मैं महेश शायरा की प्रेम और सेक्स कहानी में आपको बता रहा था कि शायरा का पेट खराब था और मैं उससे पूछ रहा
दोस्तो, मैं महेश फिर से आपके सामने हाजिर हूँ. मेरी सेक्स कहानी में अब तक आपने पढ़ा था कि एकदम से स्कूटी के ब्रेक लगाते
शायरा तो उसकी धक्का लगवाने की बात से शर्म पानी पानी ही हो गयी थी … मगर इन सब बातों में मैं पक्का बेशर्म हूँ इसलिए मैं मजा लेता रहा.
नमस्कार साथियो, मैं महेश अपनी शायरा के साथ की प्रेम और सेक्स कहानी सुना रहा था. अब तक मैंने आपको बताया था कि मैं शायरा
जिस चम्मच को शायरा के होंठों और जीभ ने छुआ था, उसको मुँह में लेने से एक बार तो ऐसा लगा जैसे मेरे होंठों ने शायरा के नर्म होंठों और उसकी जीभ को ही छूआ हो.
ममता जी का मुँह खिड़की की ओर होने से उनकी चुत भी अब खिड़की की तरफ हो गयी थी. ऐसा मैंने जानबूझकर किया था ताकि शायरा अच्छे से हमारी चुदाई देख सके.
मेरे धक्के लगाने से ममता को मज़ा आ रहा था, मेरे धक्कों की ताल से ताल मिलाकर वो भी नीचे से अपने कूल्हों को उचका रही थीं. यह नजारा शायरा देख रही थी.
मैंने शायरा की गलतफहमी दूर कर दी थी. कम से कम वो अब मुझे गलत तो नहीं समझेगी, इसलिए चाय पीने के बाद भी मैं मकान मालकिन के पास बैठकर बातें करता रहा.
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