हर्ष चिर्वात्कर

बुर की सील तुड़वाई स्कूटी सीखकर

दोपहर को वो आई आते ही मैंने उसे कस कर पकड़ लिया। उसने भी मुझे पकड़ा फिर हम चिपक कर ही मेरे पलँग पर आ गए। उसकी लैगीज, मेरा पैंट टी-शर्ट उतर गया।

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