आलोक शर्मा

विधवा की चुदाई की प्यास

जैसे ही उसने दरवाज़ा बंद किया तो मैं उसको अपने पास खींच कर, उसके होंठों को चूसने लगा। उसके होंठ बिल्कुल गुलाब की तरह नर्म और गुलाब-जामुन से भी ज्यादा मधुर थे।

पूरी कहानी पढ़ें »

अन्तर्वासना इमेल क्लब के सदस्य बनें

हर सप्ताह अपने मेल बॉक्स में मुफ्त में कहानी प्राप्त करें! निम्न बॉक्स में अपना इमेल आईडी लिखें, सहमति बॉक्स को टिक करें, फिर ‘सदस्य बनें’ बटन पर क्लिक करें !

* आपके द्वारा दी गयी जानकारी गोपनीय रहेगी, किसी से कभी साझा नहीं की जायेगी।

Scroll To Top