ज़ारा की मोहब्बत- 4

(Zaara Ki Mohabbat- 4)

This story is part of a series:

महबूबा के साथ सेक्स सिर्फ दो जिस्मों का मिलना भर है लेकिन बीवी के साथ सेक्स से जिम्मेदारी जुड़ी है. बीवी शादी के बाद बनती है और महबूबा कभी भी!

वो उठी और मेरे पास आकर बैठ गयी!
मेरा चेहरा हाथों में लेकर मेरी आंखों में देखते हुये बोली- जान! मुझमें ऐसी क्या कमी है?
मैं- कोई कमी नहीं!
ज़ारा- क्या मैं आपकी बीवी जितनी खूबसूरत नहीं?
मैं- उससे ज्यादा खूबसूरत हो तुम!
ज़ारा- फिर क्या दिक्कत है जान?

मैं- एक बात बताओ कि बीवी और महबूबा में क्या फर्क है?
ज़ारा- बीवी शादी के बाद बनती है और महबूबा कभी भी!
मैं- सेक्स दोनों के साथ होता है?
ज़ारा- हां!
मैं- यहीं पर एक अहम फर्क है!

ज़ारा- वो क्या?
मैं- महबूबा के साथ सेक्स सिर्फ दो जिस्मों का मिलना भर है लेकिन बीवी के साथ सेक्स से धर्म जुड़ा है!
ज़ारा- आप कब से इतने मजहबपरस्त हो गये?
मैं- ज़ारा! यहां पर धर्म का मतलब मजहब नहीं जिम्मेदारी है!

ज़ारा- लेकिन …
मैं- पहले समझो!
वो समझती है! मेरी कही! अनकही! सभी!
मैं- अब मुस्कुराओ!
वो मुस्कुरायी!

मैं- और अब मेरे चेहरे से नजरें हटाओ नहीं तो ये सिरफटा फिर खड़ा हो जायेगा!
ज़ारा ने मुझे चूम लिया और मेरे लंड पर हाथ फेरते हुए बोली- तो होने दो! इसे तो मैं चूत में ऐसा फिट कर लूंगी कि आपको नजर भी नहीं आयेगा!

मैं- हटो पहले नाश्ता तो कर लें?
ज़ारा- मैंने तो कर लिया!
मैं- कब?
ज़ारा- अभी तो जूस पिया था आपका!

मैं- फिर से रोमांटिक हो रही है लड़की?
ज़ारा- आपके साथ रोमांस करना तो मेरा पसंदीदा शगल है!
मैं- लेकिन मुझे भूख लगी है!
ज़ारा- ठीक है बनाती हूं नाश्ता! लेकिन एक शर्त है!
मैं- शर्त! कैसी शर्त?
ज़ारा- रोमांस करते-करते!

मैं- अरे! लेकिन पहले मुझे नहाना है!
ज़ारा- तो साथ में नहा लेते हैं?
मैं- हां जाओ अपने कमरे में और नहा लो तब तक मैं भी नहा लेता हूं!
ज़ारा- नहीं! आपके बाथरूम में इकट्ठे!

मैं- नहीं तुम फिर नहाते हुये चुदोगी!
ज़ारा- जान प्लीज! आप के साथ नहाये डेढ़ महीने से ज्यादा हो गया है! प्लीज!
मैं- चलो ठीक है आओ!
ज़ारा- ऐसे नहीं!
मैं- तो कैसे?
ज़ारा- मुझे गोद में उठाकर ले चलो!

मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले गया! अब शॉवर चला कर नहाना शुरू कर दिया!
वो मुझे नहलाये और मैं उसे!
मैं उसे साबुन लगाने लगा और लगाते-लगाते उसकी चुचियों पर ही रुक गया!
बड़ी-बड़ी गोल-मटोल चूचियां और गुलाबी निप्पल!

मैं उन्हें ही सहलाता रहा! ज़ारा गरम होने लगी और उसका बदन थरथराने लगा! होंठ कांपने लगे!

उसने मेरे हाथ से साबुन लिया और मेरे लंड पर लगाने लगी और शॉवर चालू कर दिया!

जब हम दोनों का सारा साबुन धुल गया तो मैं उसकी चूचियां चूसने लगा! वो सीत्कार कर उठी और मेरे लंड को कसकर दबा दिया! मैं उसकी चुचियों पर टूट पड़ा और उसकी चूत को रगड़ने लगा!
वो आहें भरने लगी- आह … जान! आह! खा जाओ मेरे निप्पलस को! जान … उह … ! मेरी चूचियों को दबा कर दूध निकाल दो आह … आह!

कुछ देर ऐसे ही चलता रहा! बाथरूम में पानी की फुहारों के नीचे मैं उसकी चूचियां चूसता रहा और वो मेरा लंड सहलाती रही!

अचानक से ज़ारा को पता नहीं क्या सूझा- मेरी चूचियां छोड़ो!
मैं नहीं हटा!
ज़ारा- हटो ना! छोड़ो मुझे!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- पहले छोड़ो!

मैंने उसे छोड़ा तो घुटनों के बल बैठ गयी और मेरा लंड पकड़ लिया!
ज़ारा- अब आयेगा असली मजा!
तुरंत लंड को मुंह में भर लिया और लगी गपागप चूसने! कुछ देर चूसने के बाद उठी और दीवार पर हाथ लगाकर गांड बाहर निकाल ली!

ज़ारा- जल्दी से मेरी गांड में डाल दो जान!
मैं- क्या डालूं?
ज़ारा- डाल दो ना!

मैं- लेकिन क्या डालूं ये तो बताओ?
ज़ारा- आपका वो!
मैं- क्या वो?
ज़ारा- क्यों तड़पा रहे हो जान? डाल दो ना प्लीज!
मैं- लेकिन क्या?
ज़ारा- आप का लंड!
ज़ारा- लेकिन कहां?
ज़ारा- मेरी गांड में!
मैं- तुम्हारी गांड में क्या?

ज़ारा- क्यों तरसा रहे हो? प्लीज डाल दो ना!
मैं- क्या कहां डालूं?
ज़ारा- जान आपके इस लंड को मेरी इस गांड में डाल दो! अब जल्दी करो मुझसे रहा नहीं जा रहा है!

मैंने लंड को उसकी गांड पर लगाया और धीरे-धीरे दबाव बढ़ाने लगा!
जब सुपारा अंदर गया तो ज़ारा ने एक मीठी सी आह भरी और अपनी गांड पीछे धकेलने लगी!

मैं- तुम्हें बड़ी जल्दी है?
ज़ारा- हां है मुझे जल्दी! आप रुके क्यों हो?
मैं- अरे धीरे-धीरे चोदूंगा इस फूल सी गांड को! मजा लेकर!
ज़ारा- लेकिन डालो तो!

अब मैंने एक करारा सा झटका दिया तो ज़ारा चीख पड़ी- आ … ! निकालो जान! निकालो इसे! बहुत दर्द हो रहा है!
मैं- हां निकालता हूं!
और एक और झटका दिया तो आधे से ज्यादा लंड उसकी गांड में घुस गया.

ज़ारा चिल्ला पड़ी! बर्दाश्त नहीं कर पायी तो नीचे बैठने लगी!
मैं भी उसके साथ ही बिना लंड निकलने दिये नीचे होने लगा और उसे पकड़कर घोड़ी बना दिया! घोड़ी बनते ही एक और झटका देकर पूरा लंड उसकी गांड में फिट कर दिया!

अब तो वो रोने लगी!
ज़ारा- प्लीज जान निकाल लो! बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है मैं मर जाऊंगी!
मैं- अभी कुछ ही देर दर्द होगा फिर मजा आने लगेगा!

ये कहकर मैं उसकी चूचियां दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा! कुछ ही देर में वो आहें भरने लगी तो मैंने उसकी गांड में धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया!
अब उसको भी मजा आने लगा और वो भी आगे-पीछे होने लगी!

काफी देर तक ऐसे ही गांड चोदने के बाद- ज़ारा!
ज़ारा- हां जान! आह … आह!
मैं- मैं आ रहा हूं!
ज़ारा- आह जान … मे … मेरी गांड में ही छोड़ दो जान आह … आ … !
कहते-कहते वो झड़ गयी थोड़े और झटकों के बाद में भी उसकी गांड में ही झड़ गया!

अब हम उठे और नहाये! उसने मेरा बदन पौंछा और मैंने उसका और बाथरूम से बाहर आ गये!
मैं- चलो अब जल्दी से नाश्ता बना लो बहुत भूख लगी है!
ज़ारा- शर्त भूल गये?
मैं- कौन सी शर्त?
ज़ारा- यही कि नाश्ता रोमांस करते-करते बनेगा!

मैं- अरे तुम छह दिन हैदराबाद क्या रह आयीं तुम्हें क्या हो गया है? इतना रोमांस?
ज़ारा- छह दिन आपसे जुदा भी तो रही हूं! अब जुदाई की कसर भी तो पूरी करूंगी?

मैं- तुम्हारे तेवर देखकर तो लग रहा है तुम जुदाई की नहीं चुदाई की कसर पूरी कर रही हो!
ज़ारा- आपको कुछ भी लगे! अब चलो किचन में!

मैं- ज़ारा मैं आदमी हूं मशीन नहीं! सुबह से दो बार चोद चुका हूं तुम्हें!
ज़ारा- तो क्या हुआ?
मैं- अब किचन में भी तुम रोमांस के बहाने किचन सेक्स करना चाहती हो!
ज़ारा- तो इसमें गलत क्या है?
मैं- मुझे भी तो आराम चाहिए!

ज़ारा- छह दिन से आप आराम ही कर रहे थे!
मैं- अरे एक ट्रिप से दूसरी ट्रिप के बीच!
ज़ारा कुछ सोचने लगी!

ज़ारा- चलो ठीक है अगर आपका ये खड़ा नहीं हुआ तो हम चुदाई नहीं करेंगे!
मैं- इसे तो तुम एक मिनट में खड़ा कर लोगी!
ज़ारा- जान चलो ना!
मैं- अरे मैं थक गया हूं!
ज़ारा- मुझे कुछ नहीं सुनना आप बस चलो!
और मुझे खींचकर किचन में ले गयी!

चाय चढ़ा कर बोली- मुझे पीछे से बांहों में भर लो!
मैं- नहीं मेरा खड़ा हो जायेगा!
ज़ारा- तो होने दो!
मैं- नहीं
ज़ारा- प्लीज जान! प्लीज! प्लीज!
और पीछे होकर मुझसे सट गयी! मेरे हाथ पकड़कर अपने पेट पर बांध लिये!

अब मेरा लंड उसकी गोरी गांड से टकरा रहा था.
वो भी अपनी गांड को हिला-हिला कर अपने मंसूबों को अंजाम देने की कोशिश कर रही थी कि कब मेरा खड़ा हो और वो किचन सेक्स करे!

ज़ारा- मैं एक बात सोच रही थी!
मैं- क्या?
ज़ारा- मेरी छुट्टी बची है एक हफ्ता आप भी एक हफ्ते की छुट्टी ले लो!

मैं- तुम्हारा दिमाग खराब है? कल जाकर अपनी छुट्टी कैंसिल करवाओ और ऑफिस ज्वाइन कर लो!
ज़ारा- सुनो तो!
मैं- क्या सुनूं? घर पर खाली बैठ कर क्या करोगी?
ज़ारा- खाली किसे बैठना है?
मैं- तो क्या करोगी?
ज़ारा- एक हफ्ते तक मैं और आप, आप और मैं! खूब मस्ती करेंगे!

मैं- सीधा-सीधा बोलो ना खूब चुदाई करेंगे!
ज़ारा- मैं ऐसे सीधा-सीधा कैसे बोल सकती हूं?
मैं- क्यों शर्म आती है?
ज़ारा- हां! मैं लड़की जो हूं!
मैं- और इतने खतरनाक इरादे बनाते हुये शर्म नहीं आयी?
ज़ारा- इसमें कैसा शर्माना?

मैं- ज़ारा तुम्हें हो क्या गया है? सेक्स की इतनी भूख तो तुम्हें कभी नहीं थी!
ज़ारा- चाय बन गयी है मैं ऑमलेट बनाती हूं! और हां छोड़ना मत मुझे ऐसे ही पकड़े रहो!
मैं उसे ऐसे ही पकड़े रहा और वो अपनी गांड से मेरे लंड को सहलाती रही!

आखिरकार उसकी गांड के सामने लंड हार गया और खड़ा हो गया तो वो एकदम खुशी से उछली!
ज़ारा- यिप्पी … खड़ा हो गया है! अब शर्त के मुताबिक डालो इसे मेरी चूत में! देखो कितनी गीली हो रही है! और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया!

मैं- ये क्या? ये तो बह रही है!
ज़ारा- और मुझे गुदगुदी भी हो रही है! अब जल्दी से डालो!
और अपनी एक टांग रसोई की कैबिनेट पर रख ली!
चूत सामने दिखने लगी!
गुलाबी चूत!

ज़ारा- डालो ना!
मैं- हां डालता हूं!
लेकिन मैं हैरान-परेशान यही सोचता रह गया कि इसको क्या हो गया है पहले तो इसे इतनी सेक्स की भूख नहीं थी और अब इसे केवल चुदाई और चुदाई ही सूझ रही है!

कुछ देर इंतजार कर उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर टिका कर पीछे की तरफ धक्का दिया तो आधा लंड उसकी चूत में घुस गया!

ज़ारा- डालो ना जान क्या सोच रहे हो?
मैं- हां-हां अभी डालता हूं!
और मैंने एक धक्का मारा और पूरा लंड अंदर डाल दिया!
ज़ारा- डालो ना!
मैं- हां डालता हूं!
लेकिन मैं हैरान-परेशान यही सोचता रह गया कि इसको क्या हो गया है पहले तो इसे इतनी सेक्स की भूख नहीं थी और अब इसे केवल चुदाई और चुदाई ही सूझ रही है!

कुछ देर इंतजार कर उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर टिका कर पीछे की तरफ धक्का दिया तो आधा लंड उसकी चूत में घुस गया!

ज़ारा- डालो ना जान क्या सोच रहे हो?
मैं- हां-हां अभी डालता हूं!
और मैंने एक धक्का मारा और पूरा लंड अंदर डाल दिया!

ज़ारा सिसक गयी- सी … जान! अब जल्दी-जल्दी चोदो मुझे, मुझसे रहा नहीं जा रहा है! चूत में खुजली हो रही है जान चोदो!

मैंने उसकी चूत में झटके देने शुरू कर दिये!
ज़ारा- जान स्पीड बढ़ाओ! जा … न!

मैंने स्पीड बढ़ाई और काफी देर तक उसे चोदता रहा!
ज़ारा- जरा रुकना!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- पैर में दर्द हो रहा है!

मैं रुका तो ज़ारा ने दोनों हाथ कैबिनेट पर टिकाये व चूत और गांड को पीछे की तरफ उभार दिया!
अब मैंने फिर से झटके देने शुरू किये! ज़ारा हर झटके पर आह भरती!

थोड़ी देर बाद ज़ारा- जा … न मैं आ रही हूं!
मैं- लेकिन मेरा नहीं हुआ है!
इतनी देर में ही वो झड़ गयी!

मेरी और उसकी जांघों पर उसकी चूत का पानी फैल गया लेकिन मैंने उसे चोदना जारी रखा तो कुछ ही देर में उसकी चूत में जलन होने लगी!
ज़ारा- जान मेरी चूत में जलन हो रही है!
मैं- फिर कहां डालूं?
ज़ारा- गांड में डाल दो!
मैं- तुम्हें फिर दर्द होगा?
ज़ारा- तो मैं चूस लेती हूं!
मैं- हां ये ठीक रहेगा!

जैसे ही मैंने उसकी चूत से लंड निकाला वो एक झटके से घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लंड पकड़ कर मुंह में भर लिया!
लगी चूसने!
इस तरह से चूसा कि जैसे वो लंड चूसने की ट्रेनिंग लेकर आयी हो!

दोस्तो, आपको ये घटना कैसी लग रही है मुझे जरूर बतायें!
मेरी मेल आई डी है- [email protected].
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

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