नैट चेटिंग पर चूत दर्शन -3

(Net Chatting Par Chut Darshan-3)

थोड़ी ही देर मैं मेरे लण्ड में फिर से जान आ गई। मैंने तुरन्त ही उसे नीचे लिया और लण्ड को सेन्टर पर करके एक झटका दिया, एक ही झटके में मेरा पूरा लण्ड उसकी गहराई में उतर गया।
उसके बाद धक्कम पेल शुरू…
मैं थोड़ा थकने लगा तो मैंने नलिनी से कहा कि अब वो आकर घोड़े की सवारी कर ले!
उसे समझ में नहीं आया तो मैं पलंग पर लेट गया और उसे समझाकर अपने लण्ड पर चढ़ाया।

इस तरह उसने पहली बार किसी गैर मर्द से चुदवाया।
थके होने के कारण हम लोग थोड़ा रिफ्रेश होने के लिये दूध पीकर नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे।
मैंने उसी समय नलिनी को बताया कि तुम्हारी चूत चुदी होने के कारण कोई दिक्कत नहीं हुई लेकिन अब जब पीछे छेद की बारी आयेगी तो तुम्हें अपनी सुहागरात याद आयेगी।
‘मैं समझी नहीं, क्या मतलब है तुम्हारा?’

यही कि जिस तरह तुम्हें सुहागरात में चुदवाते हुए थोड़ा दर्द हुआ था, उसी तरह आज जब तुम्हारी गान्ड में मेरा लौड़ा जायेगा तो थोड़ा दर्द होगा।’ एक बात और… आज रात में सुहागरात वाली ड्रेस पहन लेना ताकि मुझे और तुम्हें लगे कि हम दोनों सुहागरात मना रहे हैं। हम लोग बात भी कर रहे थे और एक दूसरे की गांड में उँगली कर रहे थे।

तभी नलिनी उठी और मेरे ऊपर पीठ के बल लेट गई और मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर अपने चूचियों पर रख कर दबाने का इशारा किया।
उसके इस तरह मेरे ऊपर लेटने और मेरा कभी उसकी चूची को दबाना, कभी उसकी नाभि में उँगली करना या फिर उसकी चूत को कुरेदना, इन सब से मेरे लण्ड में फिर से जान नाने लगी। मेरा लण्ड खड़ा होकर उसकी चूत से टकरा रहा था, अब वो मेरे लौड़े को पकड़ कर अपने चूत में रगड़ रही थी।

मैंने उसके कान में कहा- इस तरह करने से मेरा माल बर्बाद हो जायेगा।
वो तुरन्त पलटी और अपनी चूत में मेरे लौड़े को फंसा लिया और मेरे ऊपर लेट गई, मेरी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। शायद मेरा लौड़ा अन्दर कसमसा रहा था, इसलिये वो हिलडुल कर मेरे लौड़े को चूत में सेट कर रही थी और मैं उसकी गांड को फैला कर उसमें उंगली करने में मस्त था।
उसके हिलने डुलने से मैं उसकी चूत में झर गया और वो भी झर गई।

थोड़ी देर वो मेरे ऊपर शिथिल पड़ी रही फिर वो मुझसे अलग हुई और मेरे मुरझाये लौड़े को मुँह में लेकर साफ कर दिया और दोनों के रस का स्वाद मुझे भी देने के लिये मेरे जीभ से अपनी जीभ लगाकर मिलन कराने लगी।
फिर वो बोली- शाम को सजने के लिये कुछ शॉपिंग करनी है।

हम दोनों तैयार होकर मार्केट गये जहाँ से उसने कुछ अच्छी पैन्टी, ब्रा, नैल पालिश और विशेष रूप से गजरा लेकर ब्यूटी पार्लर में थोड़ा अपना मेकअप करा कर आई और वापस आकर उसने मुझे बाहर इंतजार करने के लिये बोला।

करीब आधे घंटे के बाद वो मेरे सामने आई तो मेरे सामने वास्तव में एक हुस्न की परी खड़ी थी। लाल साड़ी में वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
वो पूरी शादी के जोड़े में थी।
मैं उसको देखता ही रह गया, उसने मेरा हाथ पकड़कर अन्दर खींच कर दरवाजा बन्द किया और लजाते हुये बोली- कहाँ खो गये? घूर घूर कर ही पेट भर लोगे क्या?

‘अरे, जब मेरे सामने हुस्न ही ऐसा हो तो मैं क्या, कोई भी अपने आप को भूल जायेगा।’
वो उदास होकर बोली- केवल एक को ही मेरा हुस्न अच्छा नहीं लगा।
मैं उसे बाँहो में भरकर बोला- उसे तुम अब भी अपने हुस्न का जलवा दिखा सकती हो। लेकिन एक शर्त है जब भी उसे अपने हुस्न का जलवा दिखाओ तो कैम ओन रखना ताकि मैं भी देख सकूँ।
‘मैं वादा करती हूँ!’ कहकर उसने माहौल को रूहानी बनाने के लिये एक प्यारा से म्यूजिकल सांग लगाया और धीरे-धीरे जो उसने अपने बदन का जलवा बिखरना शुरू किया तो मैं दंग रह गया।

वह बड़े ही प्यार से अपने साथ मेरे एक-एक कपड़े उतारती गई।
कपड़े उतारने के बाद बोली- मैं अपनी गान्ड में तुम्हारा लौड़ा लेने को तैयार हूँ!
कहकर वह मेरे लंड को अपनी दोनों हथेलियों के बीच लेकर इस तरह घुमाने लगी जैसे दही मथ रही हो।
‘नलिनी, तुमने मेरा लण्ड खड़ा कर दिया, बस एक काम करो, हल्की सी मालिश तेल से इसकी कर दो।’

वो गई और तेल उसने हथेली पर लिया और मालिश करने लगी।
फिर मैंने उसको घोड़ी स्टाईल में खड़े होने को कहा।
वो उसी पोजिशन में खड़ी हो गई, मैंने उसकी गान्ड में थूक लगाया और मलने लगा तो नलिनी ने बोला- अपने मुँह से इसकी थोड़ी चटाई कर दो।
मैंने तुरन्त ही वैसा ही किया जैसा वो चाहती थी, उसकी गांड को चाटकर गीला करने के बाद मैंने थोड़ी क्रीम ली और उँगली से उसकी गान्ड के अन्दर लगाई और उसके बाद लौड़े को सेट कर के दबाव दिया, आगे का कुछ भाग जाकर उसकी गुदा में फंस गया, वो दर्द से बिलबिला तो गई लेकिन होंठों को दाँतों के बीच दबाकर बर्दाश्त करती रही।

मैंने तुरन्त ही धक्का दिया और आधा के ज्यादा उसकी गांड में जाकर फंस गया, दर्द के कारण वो पलंग पर गिर पड़ी, उसकी आँखों में आँसू आ गये और धीरे से बोली- शरद प्लीज रहने दो।
मैंने उसकी सुहागरात वाली बात कही और थोड़ी देर बर्दाश्त करने को कहा।
उसको मैंने बर्दाश्त करने के लिये कह तो दिया, पर मेरे लौड़े में भी जलन हो रही थी और मेरे लिये बर्दाश्त करना मुश्किल था लेकिन संयम से काम लेते हुए मैं उसकी पीठ को चूमता रहा और चूची दबाता रहा।

जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने उसी आधे फंसे लौड़े को धीरे-धीरे आगे पीछे करना शुरू किया। जब उसकी गान्ड का छेद ढीला पड़ने लगा तो फिर लन्ड का दबाव गान्ड में बढ़ाया और मेरा पूरा लण्ड उसकी गांड में था।
और उधर उसकी चीख कमरे में गूँज उठी और एक बोली- निकाल मादरचोद, क्या मेरी जान लेगा?
मैं तुरन्त उसके ऊपर गिर कर उसको सहलाता जा रहा था।

जब लगा कि वो अब तैयार है तो मैंने पोजिशन ली और धीरे-धीरे लण्ड को अन्दर बाहर करने लगा और जैसे-जैसे उसकी गांड में मेरे लौड़े के घर्षण से जगह बन रही थी वो आह उह ओह आह… करने लगी और उसको भी मजा आने लगा, वो भी अपनी गांड उचका उचका कर मेरे लण्ड का साथ देने लगी।

जब मैं झरने को हुआ तो उससे पूछा- जान मलाई अन्दर ही निकाल दूँ।
‘अन्दर ही निकाल दो, हो सकता है मेरे गांड में जो जलन हो रही है उसमें तुमहारी मलाई मरहम का काम करे।’

मैंने अपना माल उसकी गान्ड के अन्दर ही निकाल दिया और सुस्त वहीं पलग पर लेट गया।
नलिनी उठी और अपनी टांग को फैला कर चलने लगी, मैं उसकी इस चाल को देख कर हँस पड़ा तो वो गुस्से से बोली- तुम मर्दों को क्या मालूम, जो छेद चाहते हो, हमें बहला-फुसला कर अपना लौड़ा वहाँ डाल देते हो और तुम्हारा तो मजा हो जाता है और हमारी सजा।
‘क्यों तुम्हें मजा नहीं मिला क्या?’
‘मिला तो साले, पर अब जो सजा मिल रही है उसका क्या?’

‘अच्छा कहाँ जा रही हो?’
‘पेशाब करने!’
‘रूको!!’ कहकर मैंने उसे गोदी में उठाया और बाथरूम में जाकर उसे उतार दिया और वहीं खड़ा हो गया।
‘क्यों बे? अब मुझे मूतती हुई भी देखेगा क्या?’
‘क्यों जानू? जब तुमने अपनी गान्ड, चूत, चूची सब दिखा दी तो अब मूतते हुए देख लूँगा तो क्या होगा?’

मेरी बात का जवाब उसके पास नहीं था इसलिये हूँ-हू करके बैठने का प्रयास करने लगी पर दर्द के कारण बैठ नहीं पा रही थी तो बोली- देख लो, क्या कर दिया तुमने मेरी गान्ड का? अब बैठने में भी परेशानी हो रही है!
‘तो क्या हुआ, खड़ी खड़ी मूत कर लो।’

उसने मुझे गुस्से से देखा और मूतने लगी।
मूत क्रिया समाप्त होने के बाद मैंने उसे गोदी में उठाया और लेजा कर पलंग पर लेटा दिया और बोरोलीन लेकर उसकी गान्ड के अन्दर लगा दी और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गये।

करीब 2 बजे जब हम लोगों की नींद खुली तो हम लोग फिर शुरू हो गये। फिर सुबह 5 बजे तक हम लोग अपने रतिक्रिया में लगे रहे। 2 बार उसकी चूत चुदी और एक बार बड़ी ही मुश्किल से जब उसे पूरा विश्वास हो गया तो उसने गांड का मजा लेने दिया।

सुबह 5 बजे हम लोग सोये तो बारह बजे तक हम लोग उठे, उठकर हम लोग फ्रेश हुए, खाना खाकर फिर लखनऊ घूमने के लिये निकले।

तीन दिन कैसे बीत गये पता ही नहीं चला।
चलते समय मैंने उसे फिर वादा याद दिलवाया और पति को खुश रखने की सलाह दी।उसने अपना वादा निभाया, वेब कैम पर उसने अपनी अपने पति के साथ लाइव चुदाई दिखाई और अपनी टूटती हुई शादी को भी बचाया।

तो दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी? मुझे नीचे दिये ईमेल पर अपनी प्रतिक्रिया भेजें और इंतजार कीजिए मेरी अगली कहानी का!
आपका अपना शरद
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