मोनिका और उसकी मॉम की चुदने को बेकरार चूत -3

(Monika Aur Uski Mom Ki Chudane Ko Bekarar Chut- Part 3)

This story is part of a series:

मोनिका के साथ एक बार चुदाई का दौर चल चुका था और अब हम दोनों अपने अपने कपड़े पहन चुके थे।

मैं बैठ गया.. वो मेरे लिए कॉफी बना कर लाई और बोली- पहले से काफ़ी ज्यादा एक्सपर्ट हो गए हो.. लगता है इन 2 सालों में काफ़ी प्रेक्टिस हुई है।

मैं हँसने लगा और बोला- तुम भी तो काफ़ी सेक्सी हो गई है.. मेहनत तो हुई है मेरे जाने के बाद इस पर.. कौन है.. बताओ तो ज़रा?
तो वो बोली- नो.. पहले तुम?
और मैं भी बोला- पहले तुम?

पहले आप पहले आप में तो मैं ही झुकते हुए बोला- हाँ हैं चार लड़कियाँ..

तो वो बोली- बाप रे.. चार गर्ल्स.. क्या बात है तुम तो बहुत फास्ट हो यार.. प्लेब्वॉय बनने का इरादा है क्या?
मैं बोला- नहीं वैसा कुछ नहीं है.. बस लाइफ एंजाय कर रहा हूँ.. तुम बताओ तुम्हारा चोदू कौन है।

तो हँस कर बोली- है एक ब्वॉय-फ्रेंड मेरे कॉलेज का ही है.. तुम तो इतने दिन रहे कि लण्ड लेने की आदत हो गई थी.. तुम्हारे जाने के बाद मन ही नहीं लगता था.. सो वीक में एक दो-बार हो जाता है.. या कभी-कभी नहीं भी होता है।

तो मैं बोला- वाओ.. तब तो मस्त है पूरा एंजाय कर रही हो।
‘तुम बताओ तुम्हारी चार कौन हैं?’

एक गर्लफ्रेंड थी मेघा
तुम्हारे यहाँ से जाने के बाद वही सहारा बनी.. लेकिन एक साल के बाद ब्रेकअप हो गया।
बाकी एक रिलेटिव है.. और दो दोस्त की बहनें हैं।

अभी वो कुछ आगे बोलती.. उससे पहले उसके मॉम-पापा आ गए.. तो हमने बात को यहीं ख़त्म कर दिया और उन लोगों का बाहर से लाया हुआ नाश्ता था.. वो खाया और सब बैठ कर बातें करने लगे।

फिर शाम हो गई.. सो हम दोनों पढ़ने लगे.. क्योंकि एग्जाम था।

रात को खाने के लिए जब हम लोग बाहर आए तो आंटी ने बोला- बेटा मोनिका के कमरे में ही एक बिस्तर लगा देती हूँ.. तुम वहीं सो जाना।
मैं बोला- ठीक है आंटी।

मैं तो मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि अब तो रात को भी मोनिका के साथ मज़े होंगे।

उनके यहाँ 4 रूम हैं लेकिन ऊपर मकान बन रहा था.. सो दो कमरों में सामान रखे हुए थे।

खाना खाने के बाद मैं मोनिका के कमरे में ही पढ़ने लगा तब 10 बज रहे होंगे।

मैंने लॅपटॉप ऑन किया और स्काईप पर दीदी से चैट करने लगा। मैं आप लोगों को बता दूँ कि मैं कहीं भी जाता हूँ.. तो दीदी से चैट ज़रूर करता हूँ.. क्योंकि आप लोग भी जानते हैं कि वो मेरी बेस्ट गर्ल है और शायद मैं उसको दिल से प्यार करने लगा हूँ।

खैर दीदी ने पूछा- क्या हीरो.. क्या हो रहा है?

मैंने सब बता दिया और तब तक मोनिका भी कमरे में आ गई..
तो मैंने चैट बंद करके पूछा- सब सो गए क्या?
‘पापा सो गए हैं मॉम तुमको दूध पीने के लिए बुला रही हैं।’

वो पढ़ने बैठ गई।

जब मैं रसोई में गया तो देखा आंटी सेक्सी सी नाईटी में खड़ी थीं.. मैं पीछे से गया और उनके दूध में मुँह लगा दिया।
तो बोलीं- आराम से.. कोई देख लेगा।

थोड़ा ही चूसा होगा कि एक गिलास में दूध पकड़ा कर बोलीं- जाओ.. अब ये दूध पियो।

मैं बोला- रात को मिलोगी?
बोलीं- नहीं.. आज नहीं लेकिन जिस दिन मौका मिलेगा.. उस दिन.. अभी नहीं।

दूध गर्म था तो गिलास लेकर कमरे में आ गया और बैठ कर दूध पीने लगा।

कुछ देर बाद मोनिका को देख कर बोला- आओ.. मम्मी-पापा दोनों सो गए।
वो बोली- नहीं.. पहले तुम देख कर आओ..

मैं उधर से घूम कर आया और दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया। वो पेट के बल लेट कर पढ़ रही थी। उसके चूतड़ ऊपर थे, तब उसने वही टी-शर्ट और कैपरी पहन रखी थी। मैं उसकी गाण्ड की दरार में उंगली घुमाने लगा और कैपरी नीचे करके उसके चूतड़ छूने लगा और काटने भी लगा।

उसके उठे हुए चूतड़ों की क्या तारीफ करूँ.. इससे बेहतर सिर्फ़ एक ही के ही चूतड़ देखें है मैंने अब तक.. वो सुरभि के.. बाकी सबसे बेहतर इसके चूतड़ हैं।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

इतनी बेहतरीन गोलाई है कि बता नहीं सकता। कमर के पास उठने के बाद कभी भी सपाट नहीं है.. उतरी ही है.. और नीचे झुकती ही गई है.. मतलब बहुत ही बेहतरीन है.. इतना ही आप जान लीजिएगा।

मैं किस कर रहा था कि वो उठी और हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े अलग किए और दोनों नंगे ही मैदान में आ गए, एक-दूसरे के गले लग कर.. एक-दूसरे को जहाँ-तहाँ चूमने लगे।

किस करने के बाद मैंने उसको लिटा दिया और उसकी दोनों चूचियों के बीच में लण्ड डालने लगा।
जब चूचियों को चीरता हुआ लण्ड उसके मुँह तक पहुँचता.. तो वो टोपे पर किस कर देती.. फिर मैं इसे पीछे खींच लेता।

यही सिलसिला कुछ देर तक चलता रहा।
फिर कुछ देर के बाद उसको उठा कर पूरा का पूरा लण्ड उसके मुँह में घुसेड़ दिया और वो बड़े आराम से लौड़ा चूसने लगी.. जैसे कोई गन्ना चूस रही हो।

कुछ देर चूसने के बाद उसने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया.. और खुद मेरे लण्ड को पकड़ कर उस पर बैठने लगी। मैंने भी उसकी एक चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा।

तब तक वो मेरे लण्ड पर बैठ चुकी थी और लण्ड उसकी चूत में जा चुका था.. मैं उसको अब झटके मारने वाला था।
मैं उसको पकड़ कर लिप किस करने लगा और झटके मारने लगा।

फिर मैं हाथ पीछे ले गया और उसके चूतड़ को पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगा और उसके मुँह को छोड़ दिया था क्योंकि अब दर्द नहीं होने वाला था।

अब वो खुद ही ऊपर-नीचे होने लगी और जब वो ऊपर-नीचे हो रही थी.. तब उसकी चूचियाँ देखने लायक लग रही थीं, उसकी चूचियाँगोल तो नहीं हैं.. हल्की लम्बी टाइप की हैं.. वो जब वो ऊपर-नीचे हो रही थी तो कयामत लग रही थी।

जब उसके चूतड़ मेरे ऊपर बज रहे थे.. तब मुझे लग रहा था जैसे कोई गुदाज चीज़ मखमल की तरह मेरे ऊपर गिर रही हो।
कुछ देर यह चलता रहा.. फिर हम दोनों अलग हुए और मैं उसको बोला- आज कुछ अलग करते हैं।
तो वो बोली- क्या अलग?

मैं उसकी गाण्ड के छेद पर हाथ रखते हुए बोला- आज मैं यहाँ डालता हूँ।
तो वो बोली- नहीं.. बहुत दर्द होगा।

लेकिन मेरे समझाने पर वो मान गई.. बोली- ठीक है करो.. लेकिन दर्द होगा तो निकाल लेना।

मैं बोला- भरोसा रखो.. ज्यादा दर्द नहीं होगा.. थोड़ा बहुत तो होगा.. लेकिन इतना ज्यादा मजा आएगा कि तुम भूल जाओगी कि दर्द भी हुआ था।

उसकी तरफ़ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैं उसको नीचे लिटा दिया और उसकी गाण्ड में उंगली घुमाने लगा और एक उंगली को अन्दर डाल दिया।

टाइट थी उसकी गाण्ड.. क्योंकि अब तक लण्ड नहीं गया है इसके अन्दर.. कुछ देर करने के बाद मैं पास में रखा हुआ तेल उठाया और उसकी गाण्ड के छेद पर ढेर सारा डाल दिया।

अब उसकी गाण्ड में दो उंगली भी आराम से जाने लगीं।

अब मैंने अपने लण्ड को भी पूरी तरह से तेल से भिगो दिया और उसकी गाण्ड पर घुमाने लगा।
पास ही उसकी ओढ़नी पड़ी थी जिससे उसके मुँह को पूरा बन्द कर दिया.. ताकि वो आवाज़ ना करे।

अब मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला।
जब वो झुकी तो उसकी गाण्ड का छेद मेरे ठीक सामने था।

मैंने उसके चूतड़ों को फैलाया और अपने लण्ड का सुपारा उसके छेद पर लगा दिया। एक झटका मारा तो लण्ड का थोड़ा भाग अन्दर गया और वो चीखी.. लेकिन उसके मुँह में मैंने कपड़ा लगा दिया था.. सो आवाज़ नहीं आई।

अब मैं उसकी चूत और आगे सहलाने लगा।
कुछ देर बाद उसे आराम मिला.. तो मैंने उसकी चूचियों को दबाया और उसकी नंगी पीठ पर किस किया।

फिर एक जोरदार झटका मारा और अबकी बार पूरा का पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में जा चुका था। वो दर्द के मारे रो रही थी.. तो मैं उसकी चूचियों को एक हाथ से दबा रहा था.. दूसरे हाथ से उसकी चूत के दाने को मसल रहा.. और उसकी नंगी पीठ को किस कर रहा था।

फिर कुछ देर में जब वो नॉर्मल हुई तो मैंने लण्ड को हल्का सा निकाला और फिर से पूरा डाल दिया।

शायद इस बार थोड़ा कम दर्द हुआ उसे.. तो अब मैं आराम से अन्दर-बाहर करने लगा.. और अब शायद उसे भी मज़ा आने लगा था।

प्रिय पाठको, आप इस भाग में मोनिका की चूत चुदाई के बाद उसकी गाण्ड मारने की कहानी पढ़ रहे थे.. उसकी गाण्ड मारना अभी जारी है.. बस जल्द ही अगले पार्ट के साथ आपसे मिलता हूँ।

तब तक आप उंगली फ्री कीजिएगा और मुझे मेल कीजिएगा।
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