जन्मदिन के तोहफे में भाभी की गाण्ड मारी

(Janamdin ke Tohfe me Bhabhi ki Gaand Mari)

दोस्तो, मैं एक बार फिर
सुमन भाभी की कातिल जवानी
से आगे की कहानी बता रहा हूँ भाभी को चोदा तो बहुत पर.. भाभी गांड मरवाने को राज़ी नहीं थीं।

मैं तो पागल हो गया था भाभी के पीछे भैया भी आए हुए थे, मैं उनके घर जाता तो उनसे बात करता था।

मैं छुप-छुप कर भाभी को भी छेड़ देता था.. उनकी रसभरी चूचियों को दबा देता था… चूतड़ों को सहला देता था, मैं उनके साथ बहुत मज़ा ले रहा था।

अब मेरा जन्मदिन आने वाला था.. मैंने सोच लिया था कि भाभी के चूतड़ों के गुलाबी छेद का मज़ा जरूर लूटूँगा।

एक दिन शाम को भाभी के घर गया, भाभी रसोई में थीं।
ताई जी हमारे घर थीं.. मैंने भाभी को बाँहों में भर लिया।
मेरा लण्ड भाभी के मखमली चूतड़ों से सट गया और हाथों से चूचियों को दबाने लगा।

फिर बोला- भाभी कुछ ही दिनों में मेरा जन्मदिन आ रहा है.. मुझे क्या दोगी।
भाभी बोली- बोल क्या चाहिए तुझे?
‘अभी मांग लिया तो हो सकता है आप मना कर दो.. मैं उसी दिन मांग लूँगा।’

भाभी ने वादा कर दिया।

मैं खुश हो गया, मैं भाभी को चूम रहा था कि अचानक भैया आ गए।

हम अलग हो गए मैं पानी पीने लगा भाभी काम करने लगीं।

भैया अन्दर आ गए मुझसे बोले- और अजय, कैसे हो तुम?

‘मैं ठीक हूँ भैया.. आप बताओ भैया।’

‘क्या बताऊँ.. मैं बहुत बिजी हूँ मुझे अब फिर कुछ दिनों के लिए जाना होगा।’

मैं खुश हो गया कि अब फिर भाभी के साथ मज़ा करूँगा, मैंने भाभी की तरफ आँख मार दी।
भाभी हँस दीं.. फिर थोड़ी बहुत बातें करके मैं घर आ गया।

मैं अपने जन्मदिन वाले दिन भाभी के घर मिठाई लेकर पहुँचा।
मैंने ताई जी को नमस्ते की और मिठाई दी और उनसे भाभी के बारे में पूछा, तो पता चला भाभी नहा रही थीं।

मैंने ताई जी से भैया के बारे में पूछा तो भैया भी अपने टूर पर चले गए थे।

‘आज तो भाभी से पूरा मज़ा ले ही लूँगा,’ मैंने सोचा कि बस अब ताई जी को किसी काम में व्यस्त रखना था।

ताई जी से मैंने कहा- आज तो मेरे घर पार्टी है.. आप मेरे घर जाकर मदद कर दो।

तो ताई जी ने ‘हाँ’ कर दी।
मैं ताई जी को घर छोड़ आया।

ताई जी बोलीं- बेटा अजय तेरी भाभी को भी ले आना।
तो मैंने बोल दिया- मैं भाभी को पार्टी के समय तक ले आऊँगा.. आप चिंता मत करो।

मैं जल्दी से भाभी के घर पहुँच गया।

मैंने मिठाई ली और भाभी के कमरे में आ गया।

भाभी निकलने वाली थीं मैं वापस गेट पर गया और उसे बन्द करके आया, तब तक भाभी भी बाथरूम से निकल आई थीं।

भाभी मुझसे पूछने लगीं- अजय, माँ कहाँ हैं?
तो मैंने कहा- उनको मैं अपने घर ले गया हूँ।
और मिठाई उठा कर भाभी के मुँह में लगा दी।

भाभी बोली- यह किस ख़ुशी में?

तो मैंने उन्हें अपने जन्मदिन के बारे में बताया, तो वो खुश हो गईं और मुझे बधाई दी।

मैंने भी भाभी को गले लगा कर ‘थैंक्स’ कहा।

भाभी फिर अपने बालों को संवारने लगीं।

मैंने भाभी को पीछे से पकड़ कर उनके कान में अपना वादा याद दिलाया।
तो भाभी ने कहा- बोलो.. आपको क्या चाहिए?
मैंने भाभी के चूतड़ों में ऊँगली करके कहा- भाभी ये…!

भाभी ने बड़े आत्मविश्वास से कहा- मुझे पहले से ही पता था कि तुम यही कहोगे… चलो कोई बात नहीं.. अब देवर को गिफ्ट तो देना ही होगा… पहले बताओ कि कोई आ तो नहीं जाएगा?

मैंने बताया- कोई नहीं आएगा.. मैंने ताई जी को कह दिया है कि मैं भाभी को शाम को पार्टी के समय लाऊँगा।

भाभी- बड़े बदमाश हो तुम… सब पहले ही सैट कर दिया।

फिर हम दोनों हँस दिए और मैं फिर भाभी को चूमने लगा।

भाभी तो पहले से ही तौलिए में थीं, मैंने अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया।

मैंने बिस्तर पर बैठ कर भाभी को अपनी गोदी में ले लिया।

अपने लण्ड को भाभी के चूतड़ों की दरार में रख कर उनकी उठी हुई चूचियों को पीने लगा। भाभी मस्त होती जा रही थीं।

फिर धीरे-धीरे भाभी के बदन को चूम कर और सहला कर चूतड़ों पर आया।

भाभी लेट गईं.. उन्होंने चूतड़ों को ऊपर उठा दिया।

फिर मैं जल्दी से बाथरूम में जाकर सरसों का तेल लाया और लण्ड पर लगाया और भाभी की गाण्ड में भी तेल लगा दिया।
फिर सुपारा टिका कर लण्ड डालने की धीरे-धीरे कोशिश करने लगा।

मेरा लौड़ा तेल लगाने से खूब चिकना हो गया था.. बस फिर धीरे से अन्दर जाने लगा।

भाभी भी थोड़ी दर्द से सिसकारियाँ ले रही थीं।
भाभी कहने लगीं- प्लीज.. आराम से डालना..

मैं- भाभी पूरी तरह आराम से करूँगा।

जब थोड़ा सा लण्ड अन्दर चला गया तो मैंने भी जोर लगाया और लण्ड को धक्का दे दिया, मुझे भी थोड़ा सा दर्द सा हुआ।

भाभी तो चिल्लाने ही लगीं- निकालो इसे.. दर्द हो रहा है।

पर मैंने ऐसे ही रखा और भाभी को सहलाने लगा, मैं झुक कर भाभी की कमर को चूमने लगा, हाथों से चूचियों को भी दबाने लगा।
धीरे-धीरे सब ठीक होता गया और मुझे भी मज़ा आने लगा, भाभी के गद्देदार चूतड़ बहुत मस्ती दे रहे थे।

कुछ देर बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था, मैंने थोड़ा तेज़ी से लण्ड को हिलाना शुरू किया, अब भाभी दर्द से रो रही थीं।

पूरे मज़े के साथ मेरा वीर्य निकल गया। अब मैंने लण्ड को बाहर निकाल लिया, भाभी सीधा होकर बैठ गईं।

मैंने लण्ड को साफ़ किया और भाभी से ‘थैंक्स’ कहा।

मैंने भाभी के आँसू पोंछे और बांहों में भर लिया।

हमारे पास अभी थोड़ा समय और था।

भाभी बोलीं- अब तो तुम खुश हो ना.. अब मुझे फिर मत कहना।
तो मैंने भी वादा किया- अब नहीं कहूँगा..

फिर मैं भाभी की चूचियों को पीने लगा।

उस दिन शाम तक हम दोनों देवर-भाभी चिपके रहे, तभी भाभी का फ़ोन बजा तो उस तरफ से ताई जी बोल रही थीं- कब आओगी?

भाभी ने कहा- बस हम आ ही रहे हैं।

भाभी ने फ़ोन काट दिया। मैं भाभी को चूमे ही जा रहा था।

भाभी- अब बस भी करो.. मन नहीं भरा क्या?
मैं- नहीं.. भाभी आपसे तो कभी मन नहीं भर सकता..

भाभी- चलो अब तुम्हारे घर चलें..
मैं- रुको ना.. थोड़ी मस्ती और कर लो।

मैंने फिर भाभी के चूतड़ों में लण्ड सटा दिया।
भाभी- उफ्फ्फ.. क्या कर रहे हो.. छोड़ो ना..
‘भाभी एक बार लण्ड से रस निकाल दो ना.. देखो कैसे मस्त हो रहा है।’

तो भाभी ने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया, बहुत मज़ा आ रहा था। थोड़ी देर में लण्ड से पिचकारी निकली..

‘आआआह.. भाभी मज़ा आ गया..’

भाभी खड़ी हुईं और बोलीं- अब मज़ा भूल जाओ.. और इसे साफ़ कर लो। मैं कपड़े पहन लूँ.. फिर घर चलते हैं.. नहीं तो फंस जाएंगे।

फिर मैंने भी कपड़े पहने और मैं भाभी को लेकर अपने घर आ गया और मैंने जन्मदिन मनाया।

मैंने अपने घर में भी भाभी के साथ मस्ती की…

तो दोस्तो, यह थी मेरी कहानी, उम्मीद करता हूँ आपको पसन्द आई होगी।

अपने कमेंट्स मुझे ईमेल कीजिए और अपनी राय दीजिएगा।
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