मामी सास और उनकी बेटी के साथ सेक्स सम्बन्ध- 3

(Garam Mami Ki Gand Mari)

मैंने अपनी बीवी की गरम मामी की गांड मारी … वो भी उसकी बेटी के सामने. मामी की बेटी को मैं पहले ही चोद चुका था उसकी मम्मी के सामने!

नमस्ते दोस्तो,
कहानी के दूसरे भाग
ममेरी साली की कुंवारी बुर खोली
में अब तक आपने देखा कि कैसे मैंने पहले मामी सास मुग्धा फिर साली अंगिका को चोदा।

अब आगे मामी की गांड मारी:

मैं- तुम दोनों मेरी पत्नी हो. ये मुझे बहुत प्यार करती है और मेरा ख्याल रखती है। बस कुछ चीजें इससे चूक जाती हैं वो तुम पूरा करती हो।

मुग्धा को देखते हुए मैंने कहा- ठीक यही बात तुम पर भी है.

फिर अंगिका को मैंने कहा- जान, आज तुम हम दोनों की सुहागरात की तैयारी करोगी. तो जल्दी से काम करना होगा।

अंगिका वहां से चली गई और मैंने मुग्धा को बांहों में लेकर चूसना शुरु किया.

तभी वो मुझे हटाते हुए बोली- मतलब तुम मानोगे नहीं?
मैं- अब क्या हुआ?
मुग्धा- तुम्हें अंगिका भी क्यों चाहिए? क्या मैं तुम्हें कम प्यार करती हूं?

मैं- मेरी जान समझो … अगर हमने अंगिका को हटा दिया तो हमारा प्यार भी नहीं रहेगा और तुम मुझे एक नयी चूत नहीं लेने दोगी?

मुग्धा- मतलब तुम्हें दोनों ही हाथों में लडडू चाहिए।
मैं- हां मेरी जान कितनी जल्दी समझ गई तुम!
कहते हुए मैं उसे अपनी बांहों में दबाने लगा।

तभी उसने मुझे धकेलते हुए कहा- धत … बहुत बदमाश हो! तुमने मुझे मेरी ही बेटी की सौतन बना दिया; अब मस्का मार रहे हो।

थोड़ी देर में अंगिका भी वहां आ गई, उसने कहा कि वो बाज़ार जा रही है।
मुग्धा ने पूछा कि क्यों.
तो उसने कहा- सुहागरात के लिए कुछ खरीदना है।

मुग्धा वहां से शर्माती हुई चली गई.
तभी मैंने अंगिका से कहा- आज रात तुम्हें कितना भी कहा जाये कि ‘इस रूम से जाओ’ पर तुम नहीं हटोगी।

फिर मैंने उसे कुछ खास सामान मेरे लिए लाने को कहा और वो मार्केट चली गई।

मैं भी तैयार हो गया.

मुग्धा किचन में थी, मैं भी वहां पहुंच गया और उसे पीछे से पकड़ लिया।
वो थोड़ा सहम कर बोली- काम करने दोगे या नहीं?
मैंने कहा- मैं भी तो काम ही कर रहा हूं मेरी जान!

उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा कर मैं उसके बूब्स दबा रहा था कि उसने मुझे जोर से धक्का देते हुए हटा दिया।
फिर मैं नीचे बैठ कर उसकी गांड मसलने लगा और धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाल दिया।

अब मैं उसकी गांड में उंगली करने लगा और वो आह आह कर रही थी।

मैंने बहुत सारी वेसलीन उसकी गांड में मल दी जिससे कि वो चिकनी हो गयी।
उसने मुझसे कहा- ये क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- तुम्हारी गांड को खोल रहा हूं।

मुग्धा ने कहा- अभी मुझे काम करने दो.
तो मैंने उसे कहा- तुम कर लो काम … पर आज की रात तुम्हारी गांड मेरे लंड के नाम होगी.

मै कमरे में आ गया.

शाम के करीब 4 बजे अंगिका घर आ गई उसने मुझे वो सामान दिखाए जो मैंने लाने को कहा था।

फिर वो अपने कमरे में जाने लगी, जैसे ही कमरे में घुसी मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।
तब उसने जीन्स और शर्ट पहन रखी थी।

अंगिका- आह … ये क्या कर रहे हो?
मैं- चुप कर साली!
और मैं उसके शर्ट के बटन खोलने लगा.
अंगिका- पर रुकिए तो ओहो … हो!
मैं ‘साली मादरचोद’ कहते हुए मैं उसके बूब्स चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने उसे छोड़ दिया.

रात को करीब 11 बजे अंगिका मुग्धा को तैयार कर के ले आयी, उसने लहंगा पहन रखा था बिल्कुल दुल्हन की तरह!

मैंने मुग्धा का घूंघट उठाया और उसे प्यार करने लगा.
अंगिका कमरे में हमारे साथ ही थी।

मैंने उसकी चुनरी से हम दोनों का सिर ढक लिया और हम एक दूसरे को जमकर चूम रहे थे।
कुछ देर बाद मैं उसके ब्लाउज में से बूब्स निकाल कर पीने लगा।

थोड़ी देर बाद मैं नीचे बैठ गया और उसके पैरों को किस करते हुए ऊपर बढ़ने लगा और उसकी पैंटी निकाल दी।
अब वो काफी गर्म हो चुकी थी.

तभी मुग्धा ने अपनी बेटी अंगिका को जाने को कहा.
पर अंगिका ने साफ़ मना कर दिया।

मैंने फिर मुग्धा को बेड पे घोड़ी की तरह झुका दिया और उसकी गांड पे एक चांटा मारा।
उसने मेरी तरफ देखा तो उस वक्त अंगिका मेरा लन्ड सहला रही थी।

मुग्धा ने मुझसे पूछा- ये कब जाएगी? इसे बाहर भेजो.
मैंने भी मुग्धा की बात का समर्थन किया।
पर अंगिका जिद पे अड़ गई कि जो होगा उसके सामने होगा.

मैंने भी सोचा कि ये जिद्दी लड़की तलने वाली नहीं है, इसी के सामें इसकी मम्मी की गांड मारूंगा.

तब मैंने अपना लन्ड अंगिका के मुंह में दे दिया, वो उसे चूसने लगी।

मैं बड़े मज़े ले लेकर उसे अपना लन्ड चुसवा रहा था- हां ऐसे ही … आह … सक इट … बेबी आ!
अब मेरा लन्ड बिल्कुल कड़ा हो गया था।

मैंने अंगिका को इशारा किया कि वह मुग्धा के सामने जाए.
और पीछे से मैंने अपना लन्ड मुग्धा की गांड में पेल दिया।
वो जोर से चीखी.

तभी मैंने उसके बूब्स को दबाते हुए कहा- चिल्लाओ मत!
मैंने अंगिका को इशारा किया और वो मुग्धा के आगे आकर अपने निप्पल चुसवाने लगी।

मुग्धा भी अपने दर्द को दबाने के लिए उसके बूब्स चूस रही थी, उसने अपनी बेटी की चूचियों में कई जगह दांत गड़ा दिए.

मैं मुग्धा की गांड मार रहा था और मुग्धा ‘आह … आह … अब बस करो’ बोल रही थी।

मैंने अंगिका को देखते हुए कहा- देख आज मेरी और तेरी मम्मी की सुहागरात है. मेरी बीवी को कितना मज़ा आ रहा है। तू भी पहली कुतिया है जो अपनी मां की सुहागरात देख रही है।

अंगिका भी सिसकार रही थी, उसकी चूत गीली हो गई थी, वो अपनी चूत को एक हाथ से दबा रही थी।

अब मुग्धा गांड चुदाई का मज़ा ले रही थी, मैंने मुग्धा के बाल पकड़े हुए थे.

अंगिका को देखते हुए मैंने कहा- घबरा मत मादरचोद … तुझे भी अपनी रखैल बना कर चोदूंगा.

करीब दस मिनट तक मैंने मामी की गांड मारी, फिर उसकी गांड में ही खाली हो गया, वो भी एक बार पानी छोड़ चुकी थी।

उसके बाद मैं उसके ऊपर ही गिर गया और कुछ देर तक लेटा रहा।

अगली सुबह मैं वहां से वापस घर आ गया.

लेकिन मेरा सूरत जाने के लिए काम बढ़ गया और महीने में दो बार तो जाता ही था।

अब मुग्धा और अंगिका भी मुझे अपने पति की तरह ही मानने लगीं थीं।
मुग्धा अब मामा जी से दूर और मेरे करीब हो गई थी।

इस बीच दोनों अब काफी सेक्सी कपड़े पहनने लगी थी।
मुग्धा साड़ी ही पहनती पर ब्लाउज का गला और पीछे से काफी खुला रहता था।

फिर एक दिन अचानक मेरी पत्नी प्रीति और मेरा झगड़ा हुआ। वो मुझसे काफी नाराज़ थी क्योंकि मेरा ज्यादा वक्त बाहर ही बीतता था।

मैंने उसके सामने चुप रहने में ही भलाई समझी।

इसके बाद मैं सूरत जाना टालता रहा और अगले तीन महीनों तक मैं मुग्धा और अंगिका से मिल नहीं पाया।

लेकिन यहां प्रीति के साथ सेक्स करते हुए मुझे उन्हीं दोनों का ख्याल आता था।

एक दिन मैं सोच ही रहा था उनके पास जाने के लिए … तभी अंगिका का फोन आया।
उसने मुझसे कहा- जीजू, आप हमें भूल गए हैं।
मैं- नहीं ऐसी बात नहीं है।

अंगिका- आपको मालूम है कि यहां पापा मेरी शादी की बात कर रहे हैं और मां भी तैयार हो गई है।
तभी मैंने कहा- मैं कल ही आता हूं!

दूसरे दिन मैं वहां पहुंच गया.
मुग्धा ने बड़ी सेक्सी साड़ी पहन रखी थी.
उसने मुझे किस किया.

फिर हम दोनों बैठ गए.

मैंने पूछा- अंगिका कहां है?
तब तक वो मेरे पीछे आ गई थी।
अंगिका- मैं तो यहीं पर हूं जानू!

मैं- साली, पीछे क्या कर रही है मेरी बांहों में आ ज़रा!
कहते हुए मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया।

उसने बिना बांह की टॉप और उसके नीचे सिर्फ ब्रा पहन रखी थी और हाफ पैंट में थी।

मैं उसे बांहों में लेकर प्यार करने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी।

थोड़ी ही देर में हम दोनों गर्म हो गए थे और अब कभी भी हमारा बांध टूट सकता था।

तभी मुग्धा ने कहा- अब इसकी शादी होने वाली है।

मैं एकदम से झल्ला गया और मुग्धा को एक डांटते हुए बोला- तुम जानती नहीं कि ये सिर्फ मेरी है। इसका जिस्म सिर्फ मेरे लिए है और ये सिर्फ मेरा लन्ड लेगी।

अंगिका का हाथ पकड़ कर मैं अंदर जाने लगा और मुग्धा को देखते हुए कहा- ये मेरी माल है… ये किसी और के बिस्तर पे नहीं जाएगी।

उसके बाद कमरे में मैंने अंगिका के साथ बहुत ही वाइल्ड सेक्स किया और उसी शाम वापस आ गया।

जब मैं रास्ते में था तभी मेरे दोस्त विपुल का फोन आया।
मैंने गाड़ी रोक दी उससे बात करने के लिए.

उसने कहा कि वो बड़ी मुसीबत में है और मेरी मदद चाहिए।
मैंने कहा- मैं वहां आकर बात करता हूं।

विपुल मेरे साथ कॉलेज में था, आज वो एक बिल्डर है और काफी अच्छा काम है उसका!

लेकिन विपुल एक गे है और ये बात उसके माता पिता के बाद सिर्फ मैं जानता हूं।

जब मैं उससे मिला तो उसने बताया कि उसके माता पिता उसकी शादी की बात कर रहे हैं।

तभी मेरे दिमाग में एक प्लान सूझा पर मैंने विपुल से कहा- तू कल मुझे अपने साइट पर मिल … तब तक मैं सोचता हूं।

अगले दिन वो खुद ही मुझे लेने आ गया और हम उसके साइट पे जाने लगे।
उसने मुझसे पूछा- कुछ सोचा?
मैं- हां.. पर तुझे सही लगेगा कि नहीं?

विपुल- मुझे सब सही लगेगा. इस वक्त मेरी हालत को समझ यार!

मैं- मैं बात करूं क्या अंकल से?
विपुल- नहीं भाई ,पापा ने साफ़ कहा है कोई होशियारी मत दिखाना वरना वो मुझे अपने से बेदखल कर देंगे।

मैं- फिर मेरी बात मान … तू शादी कर ले।
विपुल- ये कैसे हो सकता है? तू भी मेरा मज़ाक बनाने आया है।

मैं- पहले बात तो सुन ले यार … देख मेरी एक साली है जो एक लड़के से प्यार करती है।
विपुल- हां तो?
मैं- तू उससे शादी कर ले।

विपुल- पर अभी तो तूने कहा कि वो किसी और से प्यार करती है।
मैं- हां, तुम समझ नहीं रहे … उसकी मां उस लड़के से उसकी शादी होने नहीं देगी और साली उसी को चाहती है।

विपुल- वो सब ठीक है … पर मेरी प्रोब्लम कैसे सोल्व होगी यहां?

मैं- देख भाई, तू अपनी उस दुनिया मतलब गे लाइफ को छोड़ सकता है? नहीं न … तो बस तू उससे शादी कर ले. वो अपने आशिक के साथ खुश रहेगी और तू अपनी दुनिया में रहना भाई!

विपुल- सही है यार … पर क्या वो लड़की मानेगी इसके लिए? कही कुछ गड़बड़ न हो जाये?
मैं- वो तू मुझ पे छोड़ दे. बस जैसे कहूं … वैसे ही करना। इस तरह तेरी समस्या भी ख़त्म हो जाएगी और वो दोनों भी तुझे दुआ देंगे दिल से!

उसके बाद मैंने इस बारे में मुग्धा और अंगिका से भी बात की.
दोनों ने हां कर दी।

और विपुल से अंगिका की शादी हो गई.

कुछ दिनों बाद उसके माता पिता अपने गांव चले गए।

एक दिन अंगिका ने फोन किया और विपुल के बारे में बताया।
तो मैंने कहा- कल आऊंगा तो तुम मुझ पे गुस्सा होने का नाटक करना।

वैसा ही हुआ भी … वो काफी नाराज़ दिख रही थी और विपुल की फट गई थी।
मैंने विपुल को बाहर जाने का इशारा किया तो वो कुछ देर के लिए बाहर चला गया।

फिर हम दोनों ने एक दूसरे को खूब प्यार किया; मैंने उसके होंठों को खूब चूसा और उसकी गांड भी दबायी।

जब विपुल आ गया तो मैंने कहा- देख भाई, वो अभी भी मुझ से नाराज़ हैं। मैंने समझा दिया है. बस एक काम करना … जब उसका मन होगा अपने प्रेमी से प्यार करने का तो वो मायके जाने को कहेगी. तब तू उसे जाने देना या तू दो तीन दिन के लिए बाहर चले जाना कहीं भी!

उसने मुझसे पूछा- मैं कहाँ जाऊंगा?
मैंने कहा- अरे यार … अपने उन्ही साथियों के पास चले जाना न!

उसके बाद जब भी हमें मिलना होता तो अंगिका विपुल को मायके जाने को कहती और वो कुछ दिन के लिए चला जाता।

फिर हम दोनों अपनी रातें रंगीन करते।

इसी तरह चार महीने बीत गये.
तब अंगिका ने बताया कि वो मां बनने वाली है।

विपुल के परिवार में भी खुशी थी पर विपुल को ये पता नहीं है कि अंगिका मेरे बच्चे की मां बनने वाली है।

अब मुग्धा भी यहां आ गई अंगिका की देखभाल के लिए!

अंगिका की डिलीवरी में अभी कुछ समय था, तब तक मैं मुग्धा को ही चोदता रहा।

मेरी कहानी जिसमें मैंने अपनी बीवी की मामी की गांड मारी, पर अपने विचार जरूर दीजिएगा।
धन्यवाद.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top