Sex Stories Archive for June, 2011

पहला आनन्दमयी एहसास -3

मैं अम्बिका की चूत बड़े जोश से चाट रहा था तो रोशनी बड़ा स्वाद लेकर मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी। हम तीनों मदहोश हो चुके थे..

काशीरा-लैला -5

अब मैं चाची को अपने कमरे में ले जाती हूँ, देखती हूँ कि आखिर इनकी बुर कितना पानी छोड़ती है दो घंटे में। और आप और इमरान मिल कर घंटे दो घंटे भर मस्ती कर लो।

काशीरा-लैला -4

“वाह.. भतीजे के लाड़ दुलार चल रहे हैं, उसे मलाई खिलाई जा रही है, चलो अच्छा हुआ, मैं भी कहूँ कि ये कहाँ का न्याय है कि बहू पे इतनी मुहब्बत जता रहे हो और बेचारे भतीजे को सूखा सूखा छोड़ दिया कल रात !” चाची की आवाज आई। वे नहा कर सीधे हमारे कमरे […]

काशीरा-लैला -3

चचाजी कमर उचका रहे थे, मेरे मुँह में लंड पेलने की कोशिश कर रहे थे 'अरे चूसने दे बहू, बहुत अच्छा चूसता है ये छोकरा.. सीख जायेगा जल्दी... क्या साले बदमाश हरामी हो तुम दोनों.. आज तुम दोनों को चोद दूंगा.. साले हरामियो.. बिस्तर पर पास पास लिटा कर आज दोनों को चोदूँगा !'

काशीरा-लैला -2

चाची नंगी थीं, नंगी ही मेरा इंतजार कर रही थीं। मैं हाथ चाची के बदन पर फ़ेरने लगा। एकदम चिकना मखमली गद्दी जैसा बदन था चाची का। चाची ने टटोल कर मेरा लंड पकड़ लिया

काशीरा-लैला -1

'दुआ से काम नहीं चलेगा चचाजी। इमरान को माल चाहिये माल चाची के बदन का !' काशीरा चचाजी के लंड को मुठियाते हुए बोली 'और आप जल्दी करो, इस मुस्टंडे को फ़िर से जगाओ, आज की रात उसे सोने नहीं मिलेगा, इस बार घंटे भर नहीं चोदा तो तलाक दे दूंगी !

नव वर्ष की पूर्व संध्या-2

On 2011-06-04 Category: कोई मिल गया Tags:

प्रेषिका : शालिनी कोई आधे घण्टे तक उसके लंड को चूसने के बाद उसके लंड से मेरे मुँह में वीर्य की पिचकारी निकली जो सीधी हलक से मेरे अंदर उतर गई। मैंने उसका लंड अपने मुँह बाहर निकाला और जोर जोर से हिला कर उसके वीर्य को अपने मुँह पर गिराने लगी। दलवीर मुझे खड़ा […]

नव वर्ष की पूर्व संध्या-1

On 2011-06-03 Category: कोई मिल गया Tags:

प्रेषिका : शालिनी नए साल की पूर्व संध्या पर मैं अकेली ही थी क्योंकि रचना पिछली रात को ही अपने माता पिता के पास चली गई थी। मैंने अपने दो-तीन दोस्तों को फोन किया ताकि कुछ मज़ा कर सकूँ परन्तु सब का पहले से ही कुछ ना कुछ प्रोग्राम बना हुआ था। तब मैंने सुनील […]

कॉल सेंटर में सीखी चुदाई

On 2011-06-02 Category: Office Sex Tags:

प्रेषक : मिहिर रोहण दोस्तो, मेरा नाम रमेश है, मैं एक छोटे शहर का रहने वाला था। मैं पहले पढ़ने के लिए और बाद में नौकरी के लिए बड़े शहर में गया, तो मैं यहीं रचबस गया। मैंने पढ़ते-पढ़ते ही नौकरी शुरू कर दी थी और मैंने एक कॉल सेण्टर में काम करना शुरू कर […]

विदुषी की विनिमय-लीला-7

On 2011-06-01 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर संदीप और इनका स्‍वाद एक जैसा था। सचमुच सारे मर्द एक जैसे होते हैं। इस खयाल पर हँसी आई। मैंने मुँह में जमा हो गए अंतिम द्रव को जबरदस्‍ती गले के नीचे धकेला और जैसे उन्‍होंने मुझे किया था वैसे ही मैंने झुककर उनके मुँह को चूम लिया। लो भाई, मेरा भी […]

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