Sex Stories Archive for May, 2011

विदुषी की विनिमय-लीला-6

On 2011-05-31 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर उन्होंने एक हाथ से मेरे बाएँ पैर को उठाया और उसे घुटने से मोड़ दिया। अंदरूनी जाँघों को सहलाते हुए आकर बीच के होठों पर ठहर गये। दोनों उंगलियों से होठों को फैला दिया। “हे भगवान !” मैंने सोचा,”संदीप के सिवा यह पहला व्यक्ति था जो मुझे इस तरह देख रहा था।” […]

विदुषी की विनिमय-लीला-5

On 2011-05-30 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर वे हौले-हौले मेरे पैरों को सहला रहे थे। तलवों को, टखनों को, पिंडलियों को… विशेषकर घुटनों के अंदर की संवेदनशील जगह को। धीरे-धीरे नाइटी के अंदर भी हाथ ले जा रहे थे। देख रहे थे मैं विरोध करती हूँ कि नहीं। मैं लज्‍जा-प्रदर्शन की खातिर मामूली-सा प्रतिरोध कर रही थी। जब घूमते-घूमते […]

विदुषी की विनिमय-लीला-4

On 2011-05-29 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर काफी देर हो चुकी थी- “अब चलना चाहिए।” अनय ताज्‍जुब से बोले,”क्‍या कह रही हो? अभी तो हमने शाम एंजाय करना शुरू ही किया है। आज रात ठहर जाओ, सुबह चले जाना।” शीला ने भी जोर दिया,”हाँ हाँ, आज नहीं जाना है। सुबह जाइयेगा।” मैंने संदीप की ओर देखा। उनकी जाने की […]

विदुषी की विनिमय-लीला-3

On 2011-05-28 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर मिलने के प्रश्‍न पर मैं चाहती थी पहले दोनों दंपति किसी सार्वजनिक जगह में मिलकर फ्री हो लें। अनय को कोई एतराज नहीं था पर उन्‍होंने जोड़ा,” पब्‍लिक प्‍लेस में क्‍यों, हमारे घर ही आ जाइये। यहीं हम ‘सिर्फ दोस्‍त के रूप में’ मिल लेंगे।” ‘सिर्फ दोस्‍त के रूप में’ को वह […]

विदुषी की विनिमय-लीला-2

On 2011-05-27 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : लीलाधर धीरे-धीरे यह बात हमारी रतिक्रिया के प्रसंगों में रिसने लगी। मुझे चूमते हुए कहते, सोचो कि कोई दूसरा चूम रहा है। मेरे स्‍तनों, योनिप्रदेश से खेलते मुझे दूसरे पुरुष का ख्याल कराते। उस अनय नामक किसी दूसरी के पति का नाम लेते, जिससे इनका चिट्ठी संदेश वगैरह का लेना देना चल रहा […]

विदुषी की विनिमय-लीला-1

On 2011-05-26 Category: कोई मिल गया Tags:

पाठकों से दो शब्द : यह कहानी अच्छी रुचि के और भाषाई संस्कार से संपन्न पाठकों के लिए है, उनके लिए नहीं जिन्हें गंदे शब्दों और फूहड़ वर्णन में मजा आता है। इसे लिखने में एक-एक शब्द पर मेहनत की गई है। यौन क्रिया के सारे गाढ़े रंग इसमें मिलेंगे, बस कहानी को मनोयोगपूर्वक पढ़ें। […]

मामी की बिमारी

हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम राजवीर संगवान है, मेरी उम्र लगभग 28 साल है और मैं अपने आप को ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर ना लिखूँ तो मैं एक साधारण सा दिखने वाला इंसान हूँ और मैं पानीपत हरियाणा का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का लगभग 8 साल पुराना पाठक हूँ, बहुत दिनों तक सोचने के […]

नानाजी का प्यार-2

On 2011-05-24 Category: रिश्तों में चुदाई Tags:

प्रेषिका : पायल सिंह तब नानाजी ने अपने धोती में से अपना विशाल लिंग को बाहर निकला जो एकदम उत्थित था, उन्होंने मेरे योनिरस को अपनी उंगली से निकाल के अपने शिश्न-मुंड के ऊपर लगाया और अपने अपने लिंग को आगे पीछे करने लगे। फिर नानाजी ने मेरे हाथ में अपना भीमकाय शिश्न पकड़ा दिया, […]

नानाजी का प्यार-1

On 2011-05-23 Category: रिश्तों में चुदाई Tags:

प्रेषिका : पायल सिंह मैं पायल सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक बड़े शहर के एक गर्ल्स कॉलेज में बी.ए. दूसरे साल की छात्रा हूँ। एक महीने पहले की घटना मैं आप लोगों से शेयर करना चाहती हूँ। मेरे घर पर मेरे दूर के रिश्ते के एक नानाजी आये हुए थे उनकी उम्र करीब 65 […]

रचना का खेल

कुट्टी सर के साथ मस्ती करके दिल्ली से वापिस आने के चार पाँच महीने बाद मैं एक घर में पेईंग गैस्ट रहने लगी थी तो वहाँ मेरी हमउम्र लड़की रचना मेरे साथ मेरे कमरे में मेरे साथ थी। रचना बनारस से था और वह भी एक दफ़्तर में काम करती थी, वो मेरी अच्छी सहेली […]

एत बात औल…पुंचु?-2

प्रेषक : जितेन्द्र कुमार मैंने उनसे स्पष्ट कह दिया- भाभी, मेरी कोई गर्लफ़्रेन्ड नहीं है, सच में ! भाभी सम्भल कर बोली- सच में ! “हाँ भाभी, मैंने आपकी कसम खाई है। झूठ नहीं बोलूंगा ! वे अपने होंठों को जरा सा गोल करके बच्चो से बात करते हैं, वैसा बनाते हुये बोली- एत बात […]

एत बात औल…पुंचु?-1

आपने मेरी कहानी मैं भ्रम में रह गया तीन भागों में पढ़ी होगी। आज जो बात मैं आपको बताने जा रहा हूँ वो उससे पहले की बात है। मेरी ब्रोकिंग एजेन्सी स्टॉक एक्सचेंज़ का काम करती है, शनिवार और रविवार को छुट्टी होती है और मुझे ये दो दिन काटना भारी होता है। बात उन […]

ट्यूशन टीचर

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार ! आप सबने मेरी कहानियाँ मेरे साथ पहली बार और मेरे अंकल पढ़ी, उनके लिए मुझे बहुत सारे मेल भी आये, मुझे बहुत अच्छा लगा पर मैं सबके मेल का जवाब नहीं दे पाई उसके लिए मैं माफी चाहती हूँ। एक बार फिर मैं आपके सामने अपनी एक […]

हुई चौड़ी चने के खेत में -5

मैं चाह रही थी कि काश वक्त रुक जाए और जगन इसी तरह मुझे चोदता रहे। पर मेरे चाहने से क्या होता आखिर शरीर की भी कुछ सीमा होती है। मैंने अपनी चूत का संकोचन किया

तेरी याद साथ है-21

On 2011-05-15 Category: पड़ोसी Tags:

प्रेषक : सोनू चौधरी मैंने बिना वक़्त गवाए अपने लंड को बाहर खींच कर फिर से एक धक्का मार कर अन्दर ठेल दिया। फच्च …एक आवाज़ आई और मेरा लंड वापस उसकी चूत की गहराइयों में चला गया और प्रिया के मुँह से फिर से एक सिसकारी निकली। मैंने बिना रुके अपने लंड को आगे […]

हुई चौड़ी चने के खेत में -4

On 2011-05-15 Category: कोई मिल गया Tags: गांड

'अबे साले... मुफ्त की चूत मिल गई तो लालच आ गया क्या?' मैंने अपनी गांड से उसकी उंगुली निकालने की कोशिश करते हुए कहा। 'भौजी.. एक बार गांड मार लेने दो ना?' उसने मेरे गालों को काट लिया।

तेरी याद साथ है-20

On 2011-05-14 Category: पड़ोसी Tags:

प्रेषक : सोनू चौधरी निक्कर निकलते ही मेरा मुन्ना बिल्कुल अकड़ कर फुफकारने लगा। प्रिया की आँखें फ़ैल गईं और फिर उनमें वही चमक दिखने लगी जो कि पिछली रात को नज़र आई थी। उसने झट से मेरे लंड को अपने हाथों में जकड़ लिया और झुक कर लंड के सुपारे पर एक किस्सी कर […]

हुई चौड़ी चने के खेत में -3

मैंने अपनी छमिया की फांकों पर पहनी दोनों बालियों को पकड़ कर चौड़ा किया और मूतने लगी। फिच्च सीईईई.... के मधुर संगीत के साथ पतली धार दूर तक चली गई। आपको बता दूं मैं धारा प्रवाह नहीं मूतती। बीच बीच में कई बार उसे रोक कर मूतती हूँ।

तेरी याद साथ है-19

On 2011-05-13 Category: पड़ोसी Tags:

प्रेषक : सोनू चौधरी “प्लीज जान…अपने हाथ ऊपर करो और मैं जो करने जा रहा हूँ उसका मज़ा लो…” मैंने उसे समझाते हुए कहा। “हाय राम…पता नहीं तुम क्या क्या करोगे…मुझसे रहा नहीं जा रहा है…” प्रिया ने अपनी हालत मुझे व्यक्त करते हुए कहा और फिर अपने हाथों को ऊपर अंगड़ाई लेते हुए हटा […]

हुई चौड़ी चने के खेत में -2

मेरा मन बुरी तरह उस मोटे लंड के लिए कुनमुनाने लगा था। काश एक ही झटके में जगन अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दे तो यह जिंदगी धन्य हो जाए। मेरी छमिया ने तो इस ख्याल से ही एक बार फिर पानी छोड़ दिया।

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